Blog

  • कन्या पूजन पर कविता

    कन्या पूजन पर कविता –दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवीशक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं।शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म बताया गया है।

    durgamata

    कन्या पूजन पर कविता

    नव दुर्गा के नौ रूपों का
    मैं करता कन्या पूजन
    आई है मैया कन्या रूप में
    मेरा जीवन हो गया पावन

    आदर सहित मैया को मैंने
    दिया है ऊँचा आसन
    भक्ति भाव से पाँव पखारू
    हो जाऊँ तुम पर अर्पण

    लाल चुनरिया सर पर ओढाया
    माथे कुमकुम टीका लगाया
    फूलों की माला पहनाकर
    हाथ जोड़ कर शीश झुकाया

    मन की ज्योत जलाई मैंने
    हृदय से आरती उतारी मैंने
    हलवा पुरी का भोग लगा कर
    श्रद्धा सुमन चढ़ाई मैंने

    सौभाग्य होता मेरा मैया
    होता जो तेरा सिंह वाहन
    नतमस्तक हो बैठा रहता
    करता नित्य ही दर्शन

    दे दो आशीष मुझको मैया
    मैं करता रहूँ तेरा वंदन
    नव दुर्गा के नौ रूपों का
    मैं करता कन्या पूजन

    आशीष कुमार
    मोहनिया, कैमूर, बिहार

  • आश्विन नवरात्रि पर विशेष गीत

    दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवीशक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म बताया गया है।

    durgamata

    आश्विन नवरात्रि पर विशेष गीत

    जय हो जय हो दुर्गे मैया महाशक्ति अवतारी।
    भक्ति भाव से पूजन करने आया शरण तुम्हारी।।

    करने से नित अर्चन वंदन जीवन धन हो जाता।
    पद सेवामें लगकर सभी मनोवांछित फल पाता।
    देव, दनुज,मानव सभी को माँ पूजन तेरा भाता।
    अग-जगमें सभी के माता तुम्हींहो भाग्यविधाता।

    सभयअभय पलमें करती तुम्ही हो करूणा कारी।
    भक्ति भाव से पूजन करने आया शरण तुम्हारी।।

    खप्पर त्रिशूल कटार करमें गले मध्य मुंड माला।
    रौद्र रूप विकराल तुम्हारा अद्भुत तेरी माया।
    रक्षक है भैरव भैया सदा बने तुम्हारी छाया।
    फट जाती दुश्मन की छाती देख तुम्हारी काया।

    टारो सभी अंधेर हे माँ करती बाघ सवारी।
    भक्ति भाव से पूजन करने आया शरण तुम्हारी।

    दुर्गति नाशिनी दुर्गामाता निज दयादृष्टि घुमाओ।
    वाणी बुद्धि विचार जगतमें सबका शुद्ध बनाओ।
    भटके जो हैं सत्य राह से उनको पथ पर लाओ।
    बढ़े परस्पर प्यार सभी में ऐसा ज्योति जलाओ।

    रहकर मानवता मध्य सब कोई बने अविकारी।
    भक्ति भाव से पूजन करने आया शरण तुम्हारी।

    विष्णु सदा शिव अज नारद जी तेरी महिमा गाते।
    आरत भाव शरण में आके देव भी सिर झुकाते।
    करती रक्षा जब जाकर माता फूले नहीं समाते।
    चढ़ विमान आकाश पथ से खुशी हो फूल वर्षाते।

    अमन चैन से सिंच रही हो त्रिलोक की फूलवारी।
    भक्ति भाव से पूजन करने आया शरण तुम्हारी।

    कालीदास दर्शन कर माता जीवन धन्य बनाये।
    आल्हा उदल नित पूजन करी शूर वीर कहलाये।
    तरे असंख्य जन दर्शन पा सम्भव कहाँ गिनाये।
    धन्य वहीं मानव है जग में जो तेरा गुण गाये।

    महिमा तेरी गजब निराली क्या जाने संसारी।
    भक्ति भाव से पूजन करने आया शरण तुम्हारी।


    बाबुराम सिंह कवि
    बडका खुटहाँ ,विजयीपुर
    गोपालगंज (बिहार)841508
    मो॰ नं॰ – 9572105032

  • दुर्गा चंडी काली हो / डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”

    दुर्गा चंडी काली हो / डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”

    दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवीशक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं।

    दुर्गा चंडी काली हो

    भारत भू के माथे की तुम,रोली कुमकुम लाली हो।
    फल फूलों से लदी हुई तुम,ही तो सुरभित डाली हो।
    जीवनभर दुख पीड़ा सहकर,कभी नहीं उफ कहती हो।
    मगर जहाँ तलवार थाम लो,दुर्गा चंडी काली हो।

    स्वर्ग बना सकती हो,घर की तुम्हीं जरूरत हो।
    माँ बहनों की पुण्य रूप में,तुम ममता की मूरत हो।
    जननी हो तुम हर पुरुषों की,तुम ही जन्म कहानी हो।
    कथा सुनाने हर बालक को,तुम्हीं दादी नानी हो।
    पैजनियाँ छनकाने वाली,बिटिया भोली भाली हो।
    मगर जहाँ तलवार थाम लो,दुर्गा चंडी काली हो।

    अन्नपूर्णा रूप में तुम ही,इस दुनिया की पालक हो।
    तुम से ही बगिया सुरभित है,तुम ही सुख संचालक हो।
    नींद नहीं आती जब हमको,लोरी तुम्हीं सुनाती हो।
    पुष्ट बनाती हो बालक को,क्षीर सुधा बरसाती हो।
    तुम ही तो इस पुण्य धरा की,जल जंगल हरियाली हो।
    मगर जहाँ तलवार थाम लो,दुर्गा चंडी काली हो।

    तुम ही तो सीमा में जाकर,बंदूक तोप चलाती हो।
    ऋण वाले डिग्री में तुम भी,अपनी हाड़ गलाती हो।
    नहीं अछूता किसी क्षेत्र में,जहाँ तुम्हारा नाम नहीं।
    कलम चलाने से यानों तक,पथ में कहीं विराम नहीं।
    तुम ही सुख सुमता हो मन की,और तुम्हीं खुशहाली हो।
    मगर जहाँ तलवार थाम लो,दुर्गा चंडी काली हो।

    डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”

  • दर्शन दे द मैया- भोजपुरी देवी गीत

    दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवीशक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं।

    durgamata

    दर्शन दे द मैया – भोजपुरी देवी गीत

    कहवाँ रहेलू मैया
    खोजेला बलकवा
    तोहरे दरश खातिर
    उठेला ललकवा
    तोहरा बिना मैया
    जिंदगी भईल बा उजाड़
    हो…..
    दर्शन दे द मैया
    होई के तू शेर पर सवार

    अड़हूल बेला के
    लगइनी फुलवारी
    माला ले के अइनी
    शरण तिहारी
    अपना अचरवा से
    बरसाईऽ द पिरितिया अपार
    हो…..
    दर्शन दे द मैया
    होई के तू शेर पर सवार

    हमरा लागे मैया
    कुछुवो ना बा हो
    भक्ति तू देखऽ मैया
    जियरा में बा हो
    कहवाँ से करीं हम
    धूप बाती के जुगाड़
    हो…..
    दर्शन दे द मैया
    होई के तू शेर पर सवार

    सब भक्तन के तू
    लाज रखेलू
    बिगड़ी बनावेलू तू
    दुखवा हरेलू
    हमरो जिनगिया के
    करी द ना तू उजियार
    हो…..
    दर्शन दे द मैया
    होई के तू शेर पर सवार

    माया मोह से
    मुक्ति दिला द
    भवसागर से तू
    पार लगा द
    देइ द आशीष मैया
    करी द तू हमरो उद्धार
    हो…..
    दर्शन दे द मैया
    होई के तू शेर पर सवार

    – आशीष कुमार
    मोहनिया, कैमूर, बिहार

  • शक्ति वंदना

    दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवीशक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं।

    durgamata

    शक्ति वंदना

    करूणाकर कौमारी माता कलिकाकारी तुम्हारी जय हो।
    खरलखड्ग खट हाथमें हरदम हेखलहारी तुम्हारी जय हो।
    गोमती गंगा गोदावरी गौरी गदाधारी तुम्हारी जय हो।
    घर-धर की माता घट-घट वासिनी घंटा घारी तुम्हारी जय हो।


    चंचल चतुर चण्डिका देवी चार्किणी चारी तुम्हारी जय हो।
    छुप छुप छाया देती क्षण क्षण क्षेमकरी हितकारी तुम्हारी जय हो।
    जय जानकी जनक नंदिनी जय सिय सुखकारी तुम्हारी जय हो।
    करूणा कर कौमारी माता कलिका कारी तुम्हारी जय हो।


    झनझन झनकार दो झट हे माँ सब झंझट झारी तुम्हारी जय हो।
    टेर-टूर टर टार दियों जग संकट टारी तुम्हारी जय हो।
    ठांव-ठांव सठ डरका मारी ठग नित ठारी तुम्हारी जय हो।
    डोली डगर-डगर डर हर के बुद्धि डर डारी तुम्हारी जय हो।


    ढोगी ढ़ाढस ढव ढूंढ थके हे बाघ सवारी तुम्हारी जय हो।
    करूणा कर कौमारी माता कलिका कारी तुम्हारी जय हो।
    तपस्या तीर तान-तान माँ दुष्टों को तारी तुम्हारी जय हो।
    थल जल थाह-थाह कर थईया थई-थई ब्रजनारीतुम्हारी जयहो।


    दुष्ट कंश दुख दिया देवकी को दुख दूर टारी तुम्हारी जय हो।
    धर्म धारिणी माँ धवलमनी करू कर धनु धारी तुम्हारी जय हो।
    नये-नये नित भेष निहारूत्रिनेत्रा प्यारी तुम्हारी जय हो।
    करूणा कर कौमरी माता कलिका कारी तुम्हारी जय हो।


    पापहर परमेश्वर पावन पर पीड़ा हारी तुम्हारी जय हो।
    फेरी फेर-फेर चौतरफा दुष्टों का फन फारी तुम्हारी जय हो।
    वंदन बारम्बार वर दायिनी ब्राही ब्रह्माणी तुम्हारी जय हो।
    भूल चूक हुक कर टुक-टुक भव भंजन भारी तुम्हारी जय हो।


    देहु भव्य भवानी भक्ति भाव बाबूराम भय हारी तुम्हारी जय हो।
    करूणा कर कौमारी माता कलिका कारी तुम्हारी जय हो।


    बाबूराम सिंह कवि
    बडका खुटहाँ, विजयीपुर
    गोपालगंज (बिहार)841508
    मो॰ नं॰ – 9572105032