गरीबों पर कविता

गरीबों पर कविता दौड़ने वाले पहिए थम गए,चलने वाले कदम रुक गए।लाए हैं उन अमीरों ने इसको,गरीबों की आँखें नम कर गए। ये कैसी गुलामी में फंद गए,बड़े-बड़े योद्धा भी इसे डर गए।थका बुझा सहमा सा मजदूर,जिसका जीवन पूरा बिखर…

माता की पूजा पर कविता

माता की पूजा पर कविता माता की पूजा करूँ ,जाकर उनके द्वार।जननी मेरा भी करो,भव से बेड़ापार।भव से बेड़ापार,भजन तेरा मैं गाऊँ।बने जगत सुखधाम,प्रेम ही नित मैं पाऊँ।कह डिजेन्द्र करजोरि,नहीं मुझको कुछ आता।कर तेरा गुणगान,रहूँ हरदम खुश माता।।~~~~~~~~~~~~~~~~डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”पीपरभवना,बलौदाबाजार…

कात्यायनी माँ पर कविता

कात्यायनी माँ पर कविता माता दानव घातिनी , हरो सभी के पाप।होय दूर माँ जगत के , रोग शोक संताप।।रोग शोक सन्ताप , माता हे कात्यायनी।कालहारिणी अम्ब , आदि शक्ति वरदायनी।।कहताकवि करजोरि,मात के गुण जो गाता।करती संकट दूर , हे…

गीत-सूनी सूनी संध्या भोर पर कविता

संध्या भोर पर कविता काली काली लगे चाँदनीचातक करता नवल प्रयोग।बदले बदले मानस लगतेरिश्तों का रीता उपयोग।। हवा चुभे कंटक पथ चलतेनीड़ों मे दम घुटता आजकाँप रहा पीला रथ रवि कासिंहासन देता आवाजझोंपड़ियाँ हैं गीली गीलीइमारतों में सिमटे लोग।बदले…………………।। गगन…

माता के नवराते पर कुंडलियाँ

नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि शब्द एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन…

जीत पर कविता

जीत पर कविता काल चाल कितनी भी खेले,आखिर होगी जीत मनुज कीइतिहास लिखित पन्ने पलटो,हार हुई है सदा दनुज की।। विश्व पटल पर काल चक्र ने,वक्र तेग जब भी दिखलाया।प्रति उत्तर में तब तब मानव,और निखर नव उर्जा लाया।बहुत डराये…

महामारी पर कविता

महामारी पर कविता कोरोना से जन जीवन हताश है।खिले चेहरे आज क्यों उदास हैं।मन में भरो हमारे माता विश्वास है।विपदा की घड़ी में इंसान क्यों निराश है।माँ दुर्गा भवानी विपदा से हमको संभालो।कैसी है ये मुश्किल इससे हमको निकालो।कर जोड़…

क्रांति का सागर पर लेख

क्रांति का सागर पर लेख 1947, में फिर से तिरंगा लहराया था, हमने फिरंगियों को भारत से मार भगाया था। क्रांति वो सागर जो हर व्यक्ति में बह रहा था। ये उस समय की बात है, जब बच्चा बच्चा आजादी…

मित्रों तोड़ो मौन पर कविता

मित्रों तोड़ो मौन पर कविता जब-जब निर्वात-मौनसम्प्रेषणहीन होकरपड़ा होता है लाचारतब-तबवाणी का स्वरमाध्यम बनकरजोड़ता हैदिलों के दो पुलों को जब-जब बर्फ़ीला-मौनजम जाता हैमाइनस डिग्री परतब-तबबर्फ़-सी जमी मौन के कणों कोअपनी ऊष्मा सेपिघलाती हैध्वनि-मिश्रित साँसों की गर्मी जब-जब अपाहिज-मौनरुक जाता है-ठहर जाता…

थूकना और चाटना पर कविता

थूकना और चाटना पर कविता उसके मुँह के सारे थूंकअब सूख चुके हैं ढूंढ-ढूंढकर वहपहले थूंके हुए जगहों पर जाकरउन थूंको को चाटकरफिर से गीला कर रहा है अपना मुँह उन्हें अपने किए ग़लतीका एहसास हो चुका है अब बेहद…

कितना कुछ बदल गया इन दिनों…

कितना कुछ बदल गया इन दिनों… देशभक्ति कभी इतनी आसान न थीसीमा पर लड़ने की जरूरत नहींघर की चार दीवारी सीमा मेंबाहर जाने से ख़ुद को रोके रहना देशभक्ति हो गई ऑफिस जाने की जरूरत नहींबिना काम घर में बैठे…

हाइकु तृतीय शतक

हाइकु

हाइकु शतक १बुलकड़ियाँरिक्त गौशाला द्वारसूखा गोबर।२चैत्र प्रभातविधवा का शृंगारदूर्वा टोकरी।३फाग पूर्णिमाडंडे पर जौ बालीबालक दौड़ा।४होली दहनचूल्हे पे हंसती माँगेहूँ बालियाँ।५मदिरालयकुतिया को पकोड़ेनाली में वृद्ध।६औषधालयचारपाई पे वृद्धनीम निम्बोली।७कैर साँगरीबाजरी की रोटियाँहाथ खरोंच।८चंग का स्वरमातृ गोद बालिकाआँख में आंसू।९निम्बू का रसरंगे हाथ…