पृथ्वी दिवस: धरती हमारी माँ

पृथ्वी दिवस: धरती हमारी माँ हमको दुलारती हैधरती हमारी माँ।आँचल पसारती हैधरती हमारी माँ। बचपन मे मिट्टी खायीफिर हम बड़े हुए।जब पाँव इसने थामातब हम खड़े हुए।ममता ही वारती हैधरती हमारी माँ।हमको दुलारती हैधरती हमारी माँ। तितली के पीछे भागेकलियाँ चुने भी हम।गोदी में इसकी खेले,दौड़े,गिरे भी हम।भूलें सुधारती हैधरती हमारी माँ।हमको दुलारती हैधरती हमारी … Read more

धरती तुझे प्रणाम

धरती तुझे प्रणाम माथ नवाकर नित करूँ , धरती तुझे प्रणाम ।जीव जंतु का भूमि ही , होता पावन धाम ।। खेले कूदे गोद में , सबकी माँ हो आप ।दुष्ट मनुज को भी सदा , देती ममता थाप ।। धरती माँ जैसी नहीं , कोई पालन हार ।सबका सहती भार ये , महिमा अपरंपार … Read more

धरती हमारी माँ

धरती हमारी माँ हमको दुलारती है                  धरती हमारी माँ।                आँचल पसारती है                धरती हमारी माँ।   बचपन मे  मिट्टी खायी                फिर  हम  बड़े हुए। जब पाँव … Read more

प्रकृति पर कविता

प्रकृति पर कविता सप्त सुरीला संगीत है , प्रकृति का हर तत्व । सजा देता यह जीवन राग, भर देता है महत्त्व। एक एक सुर का अपना ,अलग ही अंदाज है । समझना तो पड़ेगा हमें ,अब तो इसका महत्व ।। समय आने पर सब कुछ जता देती है ये हमें कहीं गुना ज्यादा राज … Read more

तोड़े हुए रंग-बिरंगे फूल :नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

तोड़े हुए रंग-बिरंगे फूल टीप-टीप बरसता पानीछतरी ओढ़ेसुबह-सुबह चहलकदमी करतेघर से दूर सड़कों तक जा निकलादेखा–सड़क के किनारेलगे हैं फूलदार पौधे कईपौधों पर निकली हैं कलियाँ कईमग़र कहीं भीदूर-दूर तक पौधों परखिले हुए फूल एक भी नहींसहसा नजरें गईनहाए न धोएफूल चुन रहे पौधों सेमहिला-पुरुष कई-कईवही जो कहलाते आस्तिक जनरखे हुए हैं झिल्ली मेंतोड़े हुए … Read more