इंद्रधनुष के रंग उड़े हैं/ बाबू लाल शर्मा *विज्ञ*

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इंद्रधनुष के रंग उड़े हैं/ बाबू लाल शर्मा *विज्ञ* इन्द्र धनुष के रंग उड़े हैं. देख धरा की तरुणाई।छीन लिए हाथों के कंगन. धूम्र रेख नभ में छाई।। सुंदर सूरत का अपराधी. मूरत सुंदर गढ़ता हैकौंध दामिनी ताक ताक पथ. चन्दा नभ में चढ़ता है. नारी का शृंगार लुटेरापाहन लगता सुखदाई।इन्द्रधनुष…………..।। यौवन किया तिरोहित नभ … Read more

पेड़ हमारे मित्र पर कविता

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पेड़ हमारे जीवन के अनमोल साथी और सच्चे मित्र होते हैं। ये हमें स्वच्छ वायु, छाया, और अनेक प्रकार के फल-फूल प्रदान करते हैं। इनका महत्व केवल हमारे दैनिक जीवन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। पेड़ हमारे सच्चे मित्र हैं … Read more

आओ मिल कर योग करें हम / शिवांगी मिश्रा

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शिवांगी मिश्रा की कविता “आओ मिल कर योग करें हम” योग के सामूहिक और सामाजिक महत्व को उजागर करती है। इस कविता में कवयित्री ने योग को न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य और शांति का साधन बताया है, बल्कि इसे एक सामूहिक गतिविधि के रूप में भी प्रस्तुत किया है जो समुदाय और समाज में एकता … Read more

क्यों? प्रीत बढ़ाई कान्हा से

radha shyam sri krishna

क्यों? प्रीत बढ़ाई कान्हा से झलकत, नैनन की गगरियाँ,झलक उठे, अश्रु – धार,क्यों? प्रीत बढ़ाई कान्हा से,बेहिन्तहा, होकर बेकरार! तड़पत – तड़पत हुई मै बावरी,ज्यों तड़पत जल बिन मछली,कब दर्शन दोगे घनश्याम,बिन तेरे अँखियाँ अकुलांई! क्यों? प्रीत बढ़ाई कान्हा से, बेहिन्तहा, होकर बेकरार,! मुझे अपनी बाँसुरियाँ बना लौ,वर्ना, प्रीत मोहे डस लेगी,दरसन मै, तेरे, बाँसुरियाँ … Read more

मेरे गिरधर, मेरे कन्हाई जी / रचयिता:-डी कुमार–अजस्र

goverdhan shri krishna

प्रस्तुत गीत या गेय कविता/भजन —- मेरे गिरधर, मेरे कन्हाई जी —डी कुमार–अजस्र द्वारा स्वरचित गीत या भजन के रूप में सृजित है ।