प्रकृति पर कविता

प्रकृति पर कविता सप्त सुरीला संगीत है , प्रकृति का हर तत्व । सजा देता यह जीवन राग, भर देता है महत्त्व। एक एक सुर का अपना ,अलग ही अंदाज है । समझना तो पड़ेगा हमें ,अब तो इसका महत्व ।। समय आने पर सब कुछ जता देती है ये हमें कहीं गुना ज्यादा राज … Read more

बाल कविता- धरती पर कविता (आचार्य गोपाल जी)

आज हमारी पर्यावरण संकट में है यदि वृक्षारोपण करके इसका संरक्षण ना किया जाये तो हम सबका भविष्य खतरे में है । इस पर आधारित बाल कविता से यह सीख लीजिये

पेरा ल काबर लेसत हो

पेरा ल काबर लेसत हो तरसेल होथे पाती – पाती बर, येला काबरा नइ सोचत हो!ये गाय गरुवा के चारा हरे जी , पेरा ल काबरा लेसत हो !! मनखे खाये के किसम-किसम के, गरुवा बर केठन हावे जी !पेरा भुसा कांदी चुनी झोड़ के, गरुवा अउ काय खावे जी !!धान लुआ गे धनहा खेत … Read more

पर्यावरण पर कविता-बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’

save nature

पर्यावरण पर कविता पर्यावरण खराब हुआ, यह नहिं संयोग।मानव का खुद का ही है, निर्मित ये रोग।। अंधाधुंध विकास नहीं, आया है रास।शुद्ध हवा, जल का इससे, होय रहा ह्रास।। यंत्र-धूम्र विकराल हुआ, छाया चहुँ ओर।बढ़ते जाते वाहन का, फैल रहा शोर।। जनसंख्या विस्फोटक अब, धर ली है रूप।मानव खुद गिरने खातिर, खोद रहा कूप।। … Read more

प्लास्टिक मिटा देंगे हम

प्लास्टिक मिटा देंगे हम दुनिया से प्लास्टिक मिटा देंगे हम. हम तुम सनम चलो खाले कसम |दुनिया से प्लास्टिक मिटा देंगे हम | ये गलता नही मिट्टी मे मिलता नही |खाती गाये पेट उनके पचता नहीं | मरती गायों को मिल बचाएंगे हम |हम तुम सनम चलो खाले कसम | इसके बर्तन बोतल इस्तेमाल न करो … Read more