राजकिशोर धिरही के बेहतरीन बाल कवितायेँ
बाल दिवस पर बेहतरीन बाल कवितायेँ राजकिशोर धिरही के द्वारा प्रस्तुत किये जा रहे हैं जो आपको बेहद पसंद आयेगी.
सार्वभौमिक बाल दिवस, जिसे विश्व बाल दिवस भी कहा जाता है, 20 नवंबर को मनाया जाता है। यह 1959 की वह तारीख थी जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों की घोषणा को अपनाया था। 1989 में इसी दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों पर कन्वेंशन को अपनाया था।
बाल दिवस पर बेहतरीन बाल कवितायेँ राजकिशोर धिरही के द्वारा प्रस्तुत किये जा रहे हैं जो आपको बेहद पसंद आयेगी.
प्रस्तुत हिंदी कविता का शीर्षक “बाल भिक्षुक” है जोकि आशीष कुमार मोहनिया, कैमुर, बिहार की रचना है. इसे वर्तमान समाज में दीन हीन अनाथ बच्चों की दयनीय स्थिति को ध्यान में रखकर लिखा गया है जिनका जीवन बसर आज भी मंदिर की सीढ़ियों पर या फिर हाट बाजार में भीख मांग कर होता है.
ननपन के सुरता (छत्तीसगढ़ी कविता) ➖➖➖➖➖➖रचनाकार-महदीप जंघेलग्राम-खमतराई,खैरागढ़जिला- राजनांदगांव(छ.ग)विधा-छत्तीसगढ़ी कविता पहली के बात, मोर मन ल सुहाथे।ननपन के सुरता मोला अब्बड़ आथे।। होत बिहनिया अंगाकर रोटी ल,खाय बर अभर जावन।कमती खा के घलो,दाई के मया अउदुलार ले अघा जावन।।दूध दही मही अउ घीव घलो,जम के खावन।दिन भर खेलकूद के ,सब्बो ल पचावन।।तिहार के ढिलबरा कोचई कढ़ी,मोला … Read more
बचपन को आधार मानकर लिखी गई मनीभाई नवरत्न की तांका आप के समक्ष प्रस्तुत
आओं खेलें सब खेल आओं खेलें सब खेल ।बन जाओ सब रेल।छुक छुक करते जाओ ।सवारी लेते जाओ ।कोई छुट ना जाए ।हमसे रूठ ना जाए ।सबको ले जाना जरूरी ।तय करनी लम्बी दूरी ।सबको मंजिल पहुंचायेंगे ।घुम फिरकर घर आयेंगे । मनीभाई नवरत्न