Month June 2019

बस तेरा ही नाम पिता

बस तेरा ही नाम पिता        उपर से गरम अंदर से नरम,ये वातानुकूलित इंसान है!पिता जिसे कहते है मित्रो,वह परिवार की शान है!! अच्छी,बुरी सभी बातो का,वो आभास कराते है!हार कभी ना मानो तुम तो,हर पल हमै बताते…

डाँ. आदेश कमार पंकज के दोहे

डाँ. आदेश कमार पंकज के दोहे पाई पाई जोड़ के बना खूब धनवान । संस्कार नहीं जानता कैसा तू नादान ।। करता लूट खसोट है वा रे वा इन्सान । लालच में है घूमता बिगड़ गई सन्तान ।। क्यों तू…

सामाजिक बदलाव पर छत्तीसगढ़ी कविता

सामाजिक बदलाव पर छत्तीसगढ़ी कविता करलई होगे संगी ,करलई होगे गा।छानी होगे ढलई ,करलई होगे गा ।।पहिली के माटी घर ,मोला एसी लागे।करसी के पानी म ,मोर पियास भागे।मंझन पहा दन, ताश अऊ कसाड़ी म।टेढ़ा फंसे रे ,   हमर बिरथा-बाड़ी…

17 मई विश्व दूरसंचार दिवस के अवसर पर एक कविता

विश्व दूरसंचार दिवस १७ मई को मनाया जाता है। यह दिन 17 मई 1865 को अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ की स्थापना की स्मृति में विश्व दूरसंचार दिवस के रूप में जाना जाता था। वर्ष1973 में मैलेगा-टोर्रीमोलिनोन्स में एक सम्मेलन के दौरान इसे घोषित किया गया।…

मानव समानता पर कविता

मानव समानता पर कविता हम मानव मानव एक समान।हम सब मानव की संतान ।धर्म-कर्म भाषा भूषा से ,हमको ना किञ्चित् अभिमान ।हिंदू की जैसे वेद पुराण ।बस वैसे ही बाइबल और कुरान ।सब में छुपी हुई है एक ही ज्ञान।सभी…

शादी से पहले

शादी से पहले मैं जीना चाहता थाएकांत जीवन प्रकृति के सानिध्य में।पर न जाने कब उलझासेवा सत्कार आतिथ्य में ।अनचाहे  विरासत में मिलीदुनियादारी की बागडोर ।धीरे-धीरे जकड़ रही हैमुझे बिना किए शोर।कभी तौला नहीं थाअपना वजूद समाज के पलड़ों में…

विदाई के पल पर कविता

विदाई के पल पर कविता वर्षों से जुड़े हुए कुछ पत्तेआज बसंत में टूट रहे हैं ।जरूरत ही जिनकी पेड़ मेंफिर भी नाता छूट रहे हैं। यह पत्ते होते तो बनती पेड़ की ताकत ।इन की छाया में मिलती सबको…

आओ स्कूल चलें हम

आओ स्कूल चलें हम आओ स्कूल चलें हम,स्कूल में खुब पढ़ें हम।जब तक सांसे चले,तब तक ना रुके कदम । पढ़ लिख के बन जाएं नेहरू।खुले गगन में उड़ेगें बन पखेरू।गाता रहे हमारी सांसो की सरगम।जैसे परी रानी की पायल…

कमाए धोती वाला खाए टोपी वाला

कमाए धोती वाला खाए टोपी वाला तेरी व्यथा,तेरी कथा,समझे ना ये दुनिया।लूटा तुझे अमीरों ने, पकड़ा दिया झुनझुनिया ।तूने आग में चलके ,पड़ाया रे पांव में छाला ।कमाए धोती वाला ,खाए टोपी वाला ।।1।। खड़े किए ,तूने सैकड़ों मंजिल ।फिर…

ममतामयी माँ -मनीभाई “नवरत्न”

यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। ममतामयी माँ लाई दुनिया…