Month November 2019

Jai Sri Ram kavitabahar

रामराज्य पर कविता / बाँके बिहारी बरबीगहीया

रामराज्य पर कविता / बाँके बिहारी बरबीगहीया सप्तपुरी में  प्रथम  अयोध्या जहाँ रघुवर   अवतार  लिए।हनुमत, केवट,  गुह  , शबरीसुग्रीव को हरि जी तार दिए।गौतम की भार्या  अहिल्या कोचरण लगा उद्धार  किए ।मारीच, खर- दूषण , बालीऔर रावन का संहार किए ।आज…

वर्षा जैन “प्रखर- एक नया ख्वाब सजायें

एक नया ख्वाब सजायें सपने कभी सुनहले कभी धुंधले सेआँखों के रुपहले पर्दे पर चमकते सेबुन कर उम्मीदों के ताने बानेहम सजाते जाते हैं सपने सुहाने कनकनी होती है तासीर इनकीमुक्कमल नहीं होती हर तस्वीर जिनकीसपनों को नही मिल पाता…

कवयित्री वर्षा जैन “प्रखर” प्रदूषण पर आधारित कविता

प्रदूषण पर आधारित कविता यत्र प्रदूषण तत्र प्रदूषण सर्वत्र प्रदूषण फैला हैखानपान भी दूषित हैवातावरण प्रदूषित है जनसंख्या विस्फोट भी एक समस्या भारी हैजिसके कारण भी होतीप्रदूषण की भरमारी है जल, वायु, आकाश प्रदूषितनभ, धरती, पाताल प्रदूषितमिल कर जिम्मेदारी लेंइस समस्या…

radha shyam sri krishna

राधा की पुकार गीत/ केवरा यदु “मीरा “

राधा की पुकार गीत / केवरा यदु “मीरा “ राधा पुकारे  तोहे  श्याम  हाथ जोड़  कर।आ जाओ  मोहन  प्यारे  मथुरा  को छोड़  कर।।आ जाओ  मोहन  प्यारे मथुरा को छोड़ कर । रूठ गई निंदिया  श्याम  , चैनों  करार भी।प्रीत  जगाके …

पुरानी यादो पर ग़ज़ल

पुरानी यादो पर ग़ज़ल भुला बैठे थे हम जिनको वो अक्सर याद आते हैंबहारों के हसीं सारे वो मंज़र याद आते हैं रहे कुछ बेरहम से हादसे मेरी कहानी केझटक कर ले गए सबकुछ जो महशर याद आते है दिलों…

नोटबंदी पर कविता

नोटबंदी पर कविता सरकार जी आपने की थी नोटबंदीआठ नवंबरसन् दो हजार सोलह कोनहीं थकेआपके चाहने वालेनोटबंदी केफायदे बताते-बतातेनहीं थकेआपके आलोचकआलोचना करते-करतेलेकिन हुआ क्या?पहाड़ खोदने कीखट-खट सुनकरबिल छोड़कर सुदूरचूहा भी भाग निकलाआज है वर्षगांठनोटबंदी कीफायदे बताने वालेनहीं कर रहेनोटबंदी की याद…

छत्तीसगढ़ मैया पर कविता -श्रीमती शशिकला कठोलिया,

छत्तीसगढ़ मैया पर कविता जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मैया,सुन लोग हो जाते स्तंभित,राष्ट्रगान सा स्वर है गुजँता,छत्तीसगढ़ का यह राज गीत,नरेंद्र देव वर्मा की अमर रचना,है उसकी आत्मा की संगीत,छत्तीसगढ़िया को बांधे रखता ,यह पावन सुंदर सा गीत ,धरती…

इश्क पर कविता-माधवी गणवीर, छत्तीसगढ़

इश्क पर कविता यू इस तरह न मुंह मोड़ कर चला करो,है इश्क तो जुबां से भी कहा करो। क्यों हाथ मिलाने पर रहते हो आमादा हर वक्त,अजनबी लोगों से थोड़ा फासले से मिला करो। भूल सकते नहीं तेरे अहसास…

जन्म लेती है कविता- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

जन्म लेती है कविता-  सूरज-सा चिरती निगाहेंसंवेदनाओं से भरी दूरदर्शी निगाहेंअहर्निश हर पलघूमती रहती है चारों ओर दृश्यमान जगत केदृश्य-भाव अनेकसुंदर-कुरूप,अच्छे-बुरे,अमीरी-गरीबी, और भी रंग सारे भावों की आत्माशब्दों की देह धरकरजन्म लेती है कविता। — नरेन्द्र कुमार कुलमित्र     9755852479कविता…