Month July 2021

मातृभूमि वंदना

ताटंक छंदविधान- १६,१४ मात्रा प्रति चरणचार चरण दो दो चरण समतुकांतचरणांत मगण (२२२) मातृभूमि वंदना वंदन करलो मातृभूमि को,पदवंदन निज माता का।दैव देश का कर अभिनंदन,वंदन जीवन दाता का।सैनिक हित जय जवान कहें हम,नमन शहीद, सुमाता को।जयकिसान हम कहे साथियों,अपने…

श्री नेल्सन मंडेला जी का गुणगान

श्री नेल्सन मंडेला जी का गुणगान अश्वेत प्रथा को कर नष्ट जग में मचा दिया हल-चल,मंडेला जी को गोरों ने कर दिया देश से बेदखल।बदला समय बदले लोग पर न बदले नेल्सन मंडेला,अश्वेतों के हक के लिए जेल में रह…

अंतर्राष्ट्रीय न्याय के लिए विश्व दिवस -अकिल खान

अंतर्राष्ट्रीय न्याय के लिए विश्व दिवस -अकिल खान अन्याय पर जहाँ न्याय की होती है जीत, जुल्म का होता है अंत यही है यहाँ की रीत।मिलता है जहाँ सबको अधिकार, अत्याचार का जहाँ होता है तिरस्कार। गरीबों का हमदर्द और…

save tree save earth

पर्यावरण असंतुलन पर कविता

आज पर्यावरण असंतुलन हो चुका है . पर्यावरण को सुधारने हेतु पूरा विश्व रास्ता निकाल रहा हैं। लोगों में पर्यावरण जागरूकता को जगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित विश्व पर्यावरण दिवस दुनिया का सबसे बड़ा वार्षिक आयोजन है। इसका…

वह खून कहो किस मतलब का

वह खून कहो किस मतलब का वह खून कहो किस मतलब काजिसमें उबाल का नाम नहीं।वह खून कहो किस मतलब काआ सके देश के काम नहीं।वह खून कहो किस मतलब काजिसमें जीवन, न रवानी है!जो परवश होकर बहता है,वह खून…

सुभाषचंद्र बोस पर कविता

सुभाषचंद्र बोस पर कविता है समय नदी की बाढ़ कि जिसमें सब बह जाया करते हैं।है समय बड़ा तूफ़ान प्रबल पर्वत झुक जाया करते हैं ।। अक्सर दुनिया के लोग समय में चक्कर खाया करते हैं।लेकिन कुछ ऐसे होते हैं,…

पेपर बैग का उपयोग – अकिल खान

पेपर बैग का उपयोग – अकिल खान प्लास्टिक के उपयोग से संसार में प्रदूषण फैला है, घर – बर्तन – पोशाक है प्लास्टिक का और सबके हाथों में प्लास्टिक का थैला है। इससे उत्पन्न होते गंभीर समस्या फिर भी प्लास्टिक…

मृत्युभोज पर कविता

मृत्युभोज पर कविता मृत्युभोज(16,14)जीवन भर अपनो के हित में,मित हर दिन चित रोग करे।कष्ट सहे,दुख भोगे,पीड़ा ,हानि लाभ,के योग करे,जरा,जरापन सार नहीं,अबबाद मृत्यु के भोज करे। बालपने में मात पिता प्रिय,निर्भर थे प्यारे लगते।युवा अवस्था आए तब तक,बिना पंख उड़ते…

श्रम श्वेद- बाबूलाल शर्मा (ताटंक छंद)

ताटंक छंद ~विधान :- १६, १४ मात्राभारदो दो चरण ~ समतुकांत,चार चरण का ~ छंदतुकांत में गुरु गुरु गुरु,२२२ हो। श्रम श्वेद- बाबूलाल शर्मा (ताटंक छंद) बने नींव की ईंट श्रमी जो,गिरा श्वेद मीनारों में।स्वप्न अश्रु मिलकर गारे में।चुने गये…

नमन करूँ मैं- बाबूलाल शर्मा

नमन करूँ मैं- बाबूलाल शर्मा नमन. ( 16,14) नमन करूँ मैं निज जननी को,जिसने जीवन दान दिया।वंदन करूँ जनक को जिसनेजीवन का अरमान दिया। नमन करूँ भ्राता भगिनी सब ,संगत रख कर स्नेह दिया।गुरु को नमन दैव से पहलेवाचन लेखन…