Author: कविता बहार

  • लगी आग सरहद पर,कैसे राग बसंती गाऊँ मैं

    सीमा रक्षा करते,उनको झुककर शीश नवाऊँ।
    लगी आग सरहद पर,कैसे राग बसंती गाऊँ।

    जान हथेली पर रख, सैनिक सीमा पर डटे हुए।
    मातृ भूमि रक्षा में,वो सब अपनों से दूर हुए।।
    मेरी भी इच्छा है,दुश्मन से मैं भी लड़ जाऊँ।
    लगी आग सरहद पर,कैसे राग बसंती गाऊँ।।

    फड़के आज भुजाए, नहीं बसंती रंग सुहाता।
    मां भू के चरणों में,मैं भी अपना शीश चढ़ाता।।
    बाट जोहती आंखे, उन आंखों में चमक जगाऊँ।
    लगी आग सरहद पर,कैसे राग बसंती गाऊँ।।

    पहले देश हमारा,इसका ये कर्ज चुकाना है।
    शीश काट दुश्मन का, बासंती पर्व मनाना है।।
    उससे पहले कैसे,मैं गीत प्रेम के लिख पाऊँ ।
    लगी आग सरहद पर,कैसे राग बसंती गाऊँ।।

    बंदूक थाम लूं मैं,अपनी इन वीर भुजाओं में।
    सीना छलनी कर दूं,घुसने दूं ना सीमाओं में।।
    तोप चलें सरहद पर,चैन कहीं मैं कैसे पाऊँ।
    लगी आग सरहद पर,कैसे राग बसंती गाऊँ।।

    सूनी मां की गोदें,उजड़ा दुल्हन का श्रृंगार।
    बहन बिना भाई के, किससे पाए लाड दुलार।।
    कोयल का राग मधुर,मैं कैसे उसको सुन पाऊँ।
    लगी आग सरहद पर,कैसे राग बसंती गाऊँ।।

    ✍️ डॉ एन के सेठी

  • माटी की शान वीर नारायण सिंह पर

    माटी की शान वीर नारायण सिंह पर

    माटी की शान वीर नारायण सिंह पर

    भारत को आजादी पाना इतना नहीं था आसान ।
    वीरों ने संघर्ष किया और किया अपना बलिदान ।
    अग्रगण्य हैं उनमें सदा छत्तीसगढ़ के वीर महान।
    शहीद वीर नारायण सिंह बने इस माटी की शान।

    भुखमरी का शिकार हो रहे थे ,हमारे प्रांतवासी।
    कोई नहीं देख सकता ऐसा दृश्य जो हो साहसी।
    क्रूर माखन का लूटा गोदाम, संकोच ना जरा सी। गरीबों में बंटवाया अन्न , ऐसे दयालु आदिवासी।

    जब बगावत की बात आई भीड़ गए वीर सेनानी। फौज बनाया अंग्रेजों के खिलाफ ऐसी थी जवानी।
    वीर नारायण के कारनामे से, जनता हुई दीवानी।
    ठाना था एक चीज, वो है बस आजादी को पानी।

    पिता से विरासत मिली, आपको देशभक्ति निडरता।
    लोक प्रिय नायक बने,परोपकारी और न्यायप्रियता। हे जननायक! है धन्य आपकी वीरता और कर्मठता।
    जेल में ही बना लिया सेना, और बन गए आप नेता।

    बना राजधानी का केंद्र, स्मारक जय स्तंभ है नाम।
    सोनाखान के जमींदार को मिली , जहां परम धाम।
    अंग्रेजों के तानाशाही का,  जीते जी लगाई लगाम।
    हे आदिवासी ! बिंझवार वीर ! तुझको मेरा प्रणाम।

    मनीभाई नवरत्न

  • संत गाडगे पर कविता

    संत गाडगे को जाना है
    ==================
    दीन दुखियों को गले लगाकर,
    जिसने अपना माना है ।
    मानव सेवा बन मसीहा ,
    संत गाडगे को जाना है ।

    फूले बुद्ध कबीर जी का,
    ज्ञान सदा जो पढ़ता है ।
    निर्गुण भक्ति की धारा में ,
    नित आगे ही बढ़ता है ।
    अपने त्याग तपस्या के बल,
    संत गाडगे जी कनक बने।
    मानवता का धर्म निभाकर,
    हम बहुजनों के जनक बने।
    परम ज्ञान के स्वामी को ,
    सबको आगे लाना है।
    मानव सेवा बन मसीहा ,
    संत गाडगे को जाना है ।

    नहीं उपजता जिनके मन में,
    लोभ कपट अनुराग ।
    सांसारिक सुख को वही करते,
    उर अंतस से त्याग ।
    मंदिर में न ईश्वर होता,
    खुदा न रहता मस्जिद में।
    गिरजाघर में गॉड  न होता,
    गुरुनानक न गुरुद्वारा में।
    अंतर्मन में बसा सभी के,
    वही असली भगवाना है।
    मानव सेवा बन मसीहा ,
    संत गाडगे को जाना है ।
    ★★★★★★★★★★
    डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”

  • बाबा गाडगे का जीवन – मनीभाई नवरत्न

    बाबा गाडगे का जीवन

    धन दौलत चाहे रुपया पैसा
    भौतिक संपदा हो भरपूर।
    जनसेवा में लगा दो मनुवा
    दान करो, बनके सच्चे सूर।

    देखो,बाबा गाडगे का जीवन
    भीख मांगा पर किया समर्पण
    दिया सर्वस्व लोक सेवा हेतु
    जो भी रहा अपना अर्जन ।।

    नहीं बनवाई अपनी कुटिया
    बीता दिया जीवन तरु तल।
    एक बर्तन से ही खाना पीना
    उसी से  करते भजन कीर्तन


    अनपढ़ गोदड़े वाला बाबा।
    रूढ़ियों से रहते कोसों दूर।
    ज्ञान का वो अलख जगाके
    दुर्व्यसनों को करते नामंजूर।


    संत तेरा था एकमात्र ध्येय
    हो दीन-दुखियों  की सेवा।
    आडंबर के खिलाफ सदैव
    और जाने दरिद्र एक देवा।

    अमीर की हाय हाय पैसा
    माया में लिपटे आजीवन।
    फकीर संत आप महान हो
    बना दी मुफ्त यात्री भवन।

    पशु कोई भोजन नहीं है
    ये जानने लगा ,जन जन।
    पशुबलि के वे घोर विरोधी
    दूर हुआ  धार्मिक शोषण।


    सत्य मार्ग पर चल रहा
    ‘गाडगे महाराज मिशन’ ।
    मानवता मूर्तिमान करे
    अर्पित करो संपूर्ण जीवन।

  • सादा जीवन पर कविता -मनीभाई नवरत्न

    सादा जीवन पर कवितामनीभाई नवरत्न

    एक ओर रंगशाला
    दूसरी ओर रंग सादा।
    कोई टक्कर नहीं जिनके बीच
    कौन सुरमा है ज्यादा?
    वैसे ख्याति विविध रंगों की है
    हरा लाल पीला नीला
    ये ना होते तो
    कहने वाले राय में
    दुनिया बेरंग होती ।
    पर जरा सोचो तो
    रंगों की उत्पत्ति कहां से हुई ?
    प्रकृति की छटा बिखेरती इंद्रधनुष
    कैसे प्रकट हुआ ?
    सूर्य की श्वेत रश्मि अदृश्य होते हुए
    सब जगह है ।
    पर खिलती है विविध रंग
    अहा कितना नाम है इनका
    श्रेष्ठता का आधार लोकप्रियता
    भले ही माने संसार ।
    पर सत्य नहीं बदल जाता ।
    सफेद, इसे महत्व नहीं देता ।
    वह कभी फरियादी नहीं रहा
    दूजे रंग करते हैं प्रहार सदा से।
    पर चिर मौन सफेद
    सुनता रहता उलाहना शब्द “बेरंग” ।
    सादा रह पाना
    कम चुनौतीपूर्ण नहीं है ।
    क्या कभी नहीं धोया
    अपनी सफेद कमीज ?
    सादा होना कमजोर कड़ी नहीं
    दूजा रंग ज्यादा निखरे
    इसलिए सदा से शहीद होता आया है
    सफेद रंग ।
    इसकी अहमियत को नेताओं ने
    बखूबी समझा ।
    यूं ही नहीं होती
    उनके वसन सफेद ।
    कफन का रंग
    जीवन की सच्चाई बताता ।
    कागज का रंग
    बयान नहीं बदलता ।
    रात्रि में सफेद गाड़ी
    बुरा हादसा कम करते
    भागमभाग जीवन में ।
    अरे भाई !
    बिजली का बिल कम किया
    सफेद प्रकाश ने ।
    नाहक लोग
    रंगीनी को देख कर मरते हैं।
    रंगीन आहार
    रंगीन विहार
    रंगीन विचार
    कोई सादा होना नहीं चाहता
    सादा सच्चाई का प्रतीक है
    झूठ का रंग दिख जाएगा इसमें
    इसलिए कम भाता है लोगों को
    सादा जीवन।

    मनीभाई नवरत्न