हो नहीं सकती – बाबुराम सिंह
हो नहीं सकती शुचिता सच्चाई से बड़ा कोई तप नहीं दूजा,सत्संग बिना मन की सफाई हो नहीं सकती। नर जीवन जबतक पुरा निःस्वार्थ नहीं बनता,तबतक सही किसीकी भलाई हो नहीं सकती। अन्दर से जाग भाग सदा पाप दुराचार से,सदज्ञान बिन…
हो नहीं सकती शुचिता सच्चाई से बड़ा कोई तप नहीं दूजा,सत्संग बिना मन की सफाई हो नहीं सकती। नर जीवन जबतक पुरा निःस्वार्थ नहीं बनता,तबतक सही किसीकी भलाई हो नहीं सकती। अन्दर से जाग भाग सदा पाप दुराचार से,सदज्ञान बिन…
कुम्हार को समर्पित कविता -निहाल सिंह फूस की झोपड़ी तले बैठकर।चाक को घुमाता है वो दिनभर। खुदरे हुए हाथों से गुंदकेमाटी के वो बनाता है मटकेतड़के कलेवा करने के बादलगा रहता है वो फिर दिन- रातस्वयं धूॅंप में नित प्रति…
हलषष्ठी पर हिंदी कविता आयी हलषष्ठी शुभम , माँ का यह व्रत खास ।अपने बच्चों के लिए , रखती है उपवास ।।रखती है उपवास , करे सगरी की पूजा ।बिना चले हल भोज्य , नहीं करते है दूजा ।।नियति कहे…
चिकित्सक/ डाक्टर दिवस पर हिंदी कविता चिकित्सक हिय में सेवा भावना, नहीं किसी से बैर।स्वास्थ्य सभी का ठीक हो, त्याग दिए सुख सैर।।नित्य चिकित्सक कर्म रत, करे नहीं आराम।लड़ते अंतिम श्वांस तक,चाहे सबकी खैर।। कठिन परीक्षा पास कर, बने चिकित्सक देख।धरती…
इंदौर मध्यप्रदेश से आदरणीया सुशी सक्सेना द्वारा रचित अति पर कविता यहां पर प्रस्तुत है