Posted inहिंदी कविता विविध छंदबद्ध काव्य
कुण्डलिया शतकवीर- बाबूलाल शर्मा
कुण्डलिया शतकवीर - बाबूलाल शर्मा १. *वेणी* मिलती संगम में सरित, कहें त्रिवेणी धाम!तीन भाग कर गूँथ लें, कुंतल वेणी बाम!कुंतल वेणी बाम, सजाए नारि सयानी!नागिन सी लहराय, देख मन…