Author: कविता बहार

  • यादों के झरोखे से

    यादों के झरोखे से

    ख़त
    मिल गया
    तुम्हारा कोरा देखा, पढ़ा, चूमा
    और
    कलेजे से लगाकर
    रख लिया अनकही थी जो बात
    सब खुल गयी
    कालिमा भरी थी मन में
    सब धुल गयी हृदय की वीणा बज उठी
    छेड़ दी सरगम
    चाहते थे तुम कितना
    मगर वक़्त था कम

    और तुमने
    कुछ नहीं लिखकर भी
    जैसे
    सब कुछ लिख दिया
    मैंने
    देखा, पढ़ा, चूमा
    फिर
    कलेजे से लगाकर
    रख लिया


    राजेश पाण्डेय*अब्र*
      अम्बिकापुर

  • प्रभात हो गया

    प्रभात हो गया

    उठो
    प्रात हो गया
    आँखें खोलो
    मन की गठानें खोलो आदित्य सर चढ़कर
    बोल रहा है
    ऊर्जा संग मिश्री
    घोल रहा है नवल ध्वज लेकर
    अब तुम्हें
    जन मन धन के निमित्त
    लक्ष्य की ओर
    जाना है
    गंतव्य के छोर पर
    पताका फहराना है असीम शक्ति तरंगें
    तुम्हारे इंतज़ार में हैं उठो !
    मेघनाद की तरह
    हुंकार भरो
    घन गर्जन करो बढो!
    हासिल करो
    विजयी बनो
    इतिहास रचो
    समर तुम्हारा है भाग्य से नहीं
    कर्म से दुनियाँ को
    अपना बनाना है उठो !
    प्रात हो गया
    प्रभात हो गया।


    राजेश पाण्डेय *अब्र*
       अम्बिकापुर

  • दोहा पंचक

    दोहा पंचक

    दोहा पंचक

    -रामनाथ साहू ननकी

    किन्नर  खूब  मचा  रहे ,  रेलयान  में   लूट ।
    कैसी है  ये  मान्यता , दी  है किसने  छूट ।।


    जल थल नीले गगन पर ,, मानव का आतंक ।
    दोहन जो  करता  मिले , सागर को ही पंक ।।


    हिंसा  हुई  बढ़ोतरी , होत   अहिंसा    छोट ।
    सबके  मन  को भा  गई , लाल हरे ये नोट ।।


    भूल  रहा  ईमान  को , रोज  बढ़े  अपराध ।
    जीव दया को छोड़कर ,बना हुआ है ब्याध ।।  


    उल्टी  सीधी   बात   पर , बैठे   तंबू    तान ।
    स्वारथ डफली को बजा ,करते  गौरव गान ।।


                     ~   रामनाथ साहू  ” ननकी “
                                    मुरलीडीह

  • ये है मेरा वतन

    ये है मेरा वतन

    ये है मेरा वतन मेरा गंगा जमन ।
    ये देश है गौतम गांधी का
    ये देश है नेहरू शास्त्री का
    यहाँ तिरंगा प्यारा है।
    यहाँ गंग यमुन की धारा है ।
    ये मेरा तन मन मेरा जीवन ।


    ये है मेरा वतन मेरा गंगा जमन
    यहाँ तुलसी और कबीर है
    यहाँ प्रीत का रंग अबीर है
    यहाँ राम और रहीम है
    यहाँ कृष्ण और करीम है।
    यहाँ गीता और कुरान है
    यहाँ बाइबल और अजान है
    मेरे माथे का है चंदन ।
    ये है मेरा वतन मेरा गंगा जमन ।


    ये मेरी भारत माता है ।
    यहाँ सभी जन गण मन गाता है
    यहाँ खेतों की हरियाली है
    पर्वत पर केसर की क्यारी है
    यहाँ होली और दिवाली है
    यहाँ ईद और कव्वाली है।
    मेरे वतन की माटी को वंदन।
    ये है मेरा वतन मेरा गंगा जमन ।

    केवरा यदु “मीरा “

  • हे मां शारदे रोशनी दे ज्ञान की

    हे मां शारदे रोशनी दे ज्ञान की

    हे मां शारदे
    रोशनी  दे ज्ञान की
    तू  तो ज्ञान का भंडार है
    हाथों में वीणा पुस्तक
    हंस वाहनी ,कमल धारणी
    ओ ममतामयी मां
    इतनी कृपा मुझ पर करना
    मैं सदाचारी बनूं
    सत्य पथ पर ही चलूं
    विरोध क्यूं अन्याय का
    मुस्किलों में भी न घबराओ


    हे मां शारदे
    दूर कर अज्ञानता
    उर में दया का वास हो
    ज्योति से भर दे वसुंधरा
    यही मेरी नित्य प्रार्थाना
    यही मेरी कामना
    यही मेरी वंदना
    हे मां मुझे रोशनी दे ज्ञान दे
    विद्या विनय का दान दें
    हे मां शारदे
    हे मां शारदे।।

    कालिका प्रसाद सेमवाल
              मानस सदन अपर बाजार
                 रूद्रप्रयाग उत्तराखंड