यादों के झरोखे से
ख़त
मिल गया
तुम्हारा कोरा देखा, पढ़ा, चूमा
और
कलेजे से लगाकर
रख लिया अनकही थी जो बात
सब खुल गयी
कालिमा भरी थी मन में
सब धुल गयी हृदय की वीणा बज उठी
छेड़ दी सरगम
चाहते थे तुम कितना
मगर वक़्त था कम
और तुमने
कुछ नहीं लिखकर भी
जैसे
सब कुछ लिख दिया
मैंने
देखा, पढ़ा, चूमा
फिर
कलेजे से लगाकर
रख लिया
राजेश पाण्डेय*अब्र*
अम्बिकापुर