संविधान शुभचिंतक सबका

संविधान शुभचिंतक सबका (आल्हा छंद)

विश्लेषकजन का विश्लेषण, सुधीजनों का है उपहार।
संविधान शुभचिंतक सबका, बांटे जो जग में अधिकार।।

जन मानस सब विधि के सम्मुख, कहते होते एक समान।
अपने मत का पथ चुन लें हम, शिक्षा का भी मुक्त विधान।।
समता से अवसर हो हासिल, सबके सपने हों साकार।
संविधान शुभचिंतक सबका, बांटे जो जग में अधिकार।।

कौन करेगा शासन हम पर, कौन बनाए यहां विधान?
जनता को अधिकार प्राप्त है, स्वेच्छा से कर ले मतदान।।
जनता ही जनता का शासक, जनता से बनती सरकार।
संविधान शुभचिंतक सबका, बांटे जो जग में अधिकार।।

कर्तव्य बद्ध इससे होते, यहीं दिलाए सबको न्याय।
अधिकारों की रक्षा खातिर, नियम बनाए हैं बहुताय।।
अधिकारों का हनन अगर हो, दें संवैधानी उपचार।
संविधान शुभचिंतक सबका, बांटे जो जग में अधिकार।।

रहन-सहन सांस्कृतिक भिन्नता, मगर संगठन है पहचान।
जाति-धर्म है पृथक मगर हम, कहते सब हैं हिन्दुस्तान।।
भाईचारा भाव लिए हम, सबसे समता का व्यवहार।।
संविधान शुभचिंतक सबका, बांटे जो जग में अधिकार।।

सब अपने में सबल-सफल हों, शेष नहीं कोई लाचार।
संविधान शुभचिंतक सबका, बांटे जो जग में अधिकार।।

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🖊️ विनोद कुमार चौहान “जोगी”
जोगीडीपा सरायपाली

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