Category विविध छंदबद्ध काव्य

नन्हा मुन्ना करे सिफारिश

नन्हा मुन्ना करे सिफारिश( १६ मात्रिक ) मैं इधर खड़ा,तुम उधर खड़े।सब अपने स्वारथ किधर अड़े।भावि सुरक्षक बनूँ वतन का,नन्हा मुन्ना करे सिफारिश,आज नमन की है ख्वाहिश। वतन आपका मेरा भी है,निज हित चाहे,उनका भी है।नही करे जो बात वतन…

प्रीतम पाती प्रेमरस…

प्रीतम पाती प्रेमरस ( दोहा-छंद) पावन पुन्य पुनीत पल, प्रणय प्रीत प्रतिपाल।जन्मदिवस शुभ आपका, प्रियतम प्राणाधार।.प्रिय पत्नी प्रण पालती, प्राणनाथ पतिसंग।जन्मदिवस जुग जुग जपूँ, रहे सुहाग अभंग।।.प्रियतम पाती प्रेमरस, पाइ पठाई पंथ।जागत जोहू जन्मदिन, जगत जनाऊँ कंत।।.जनमे जग जो जानिए,…

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बिटिया की शादी कर दूँगा

बिटिया की शादी कर दूँगा गीत (१६,१६) अब के सब कर्जे भर दूँगा,बिटिया की शादी कर दूँगा।। खेत बीज कर करी जुताई,अब तो होगी बहुत कमाई।शहर भेजना, सुत को पढ़ने।भावि जीवनी उसकी गढ़ने।गिरवी घर भी छुड़वा लूँगा,बिटिया की शादी कर…

क्यों जाति की बात करें

क्यों जाति की बात करें(१६,१६) जब जगत तरक्की करता हो,देश तभी उन्नति करता है।जब मानव सहज विकास करे,क्यों जाति द्वेष की बात करें। जाति धर्म मे पैदा होना,मनुजों की वश की बात नहीं,फिर जाति वर्ग की बात करेंयह सच्ची अच्छी…

व्यक्तित्व विशेष कविता संग्रह

मुंशी प्रेमचंद जी पर दोहे

मुंशी प्रेमचंद जी पर दोहे प्रेमचंद साहित्य में,एक बड़ी पहचान।कथाकार के नाम से,जानत सकल जहान।। उपन्यास लिखते गए,कफ़न और गोदान।प्रेमचंद होते गए,लेख क्षेत्र सुल्तान।। रही गरीबी बचपना,करते श्री संघर्ष।मिली एक दिन नौकरी,जीवन में उत्कर्ष।। गाँधी के सानिध्य में,प्रेम किए सहयोग।फौरन…

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बेटी पर दोहा छंद

बेटी पर दोहा छंद बेटी सृष्टि प्रसारणी , जग माया विस्वास।धरती पर अमरित रची, काया श्वाँसो श्वाँस।।.बेटी जग दातार भी ,यही जगत आधार।जग की सेतु समुद्र ये, जन मन देवा धार।।.बेटी गुण की खान है, त्याग मान बलिदान।राज धर्म तन…

सावन में भक्ति

सावन की रिमझिम फुहार के बीच संख व डमरू की आवाज मन की जड़ता को हिला देती है। एक नवीन प्रेरणा
अन्तर्मन को ऊर्जान्वित करने लगती है।
प्रकृति प्रेम सबसे बड़ी ईश्वर सेवा है।

कवियों की आपबीती पर कविता

कवियों की आपबीती पर कविता शीश महल की बात पुरानी,रजवाड़ी किस्से जाने।हम भी शहंशाह है, भैया,शीश पटल के दीवाने। आभासी रिश्तों के कायल,कविताई के मस्ताने।कर्म विमुख साधो सा जीवन,अरु व्याकरणी पैमाने। कुछ तो नभमंडल से तारे,कुछ मुझ जैसे घसि यारे।काम…

सुख-दुख की बाते बेमानी

सुख-दुख की बाते बेमानी सुख-दुख( १६,१६)मैने तो हर पीड़ा झेली।सुख-दुख की बाते बेमानी। दुख ही मेरा सच्चा साथी,श्वाँस श्वाँस मे रहे सँगाती।मै तो केवल दुख ही जानूँ,प्रीत रीत मैने कब जानी,सुख-दुख की बाते बेमानी। सुख तो केवल छलना है,मुझे निरंतर…