रामधारी सिंह दिनकर/ बाबूराम सिंह

रामधारी सिंह दिनकर जी कविता संग्रह तेईस सितम्बर  सरस,सन उन्नीस सौ आठ।बालक एक जन्म लिया,शुभ सेमरिया घाट।।बेगु   सराय  बिहार  में ,  है  सेमरिया   घाट।होनहार बालक हुआ,मिला न जिनका काट।।मन में…

भगत सिंह पर रचना – संगीता तिवारी

भगत सिंह पर रचना - संगीता तिवारी कविता संग्रह वर्षों पूर्व भारतवर्ष में,। जन्मा था वीर क्रांतिकारी।। साहस ऐसा गजब अनोखा,। दुश्मन पर पड़ जाता भारी।। बन क्रांतिकारी लड़ा आजीवन,।…

नारी के अधिकार पर कविता – बाबूराम सिंह

नारी के अधिकार पर कविता - बाबूराम सिंह नारी है नारायणी जननी जगत जीव की ,सबहीं की गुरु सारी सृष्टि की श्रृंगार है ।जननीकी जननीभी नारीकी विशेषता है ,महिमा नारी…

अनमोल मानव जीवन पर कविता

अनमोल मानव जीवन पर कविता पकड़ प्यार सत्य धर्म की डोर ,बढ़ सर्वदा प्रकाश की ओर।मधुर वचन सबहिं से बोल,मानव जीवन है अनमोल।औरों से सद्गुण सम्भाल,निजका अवगुण दोष निकाल।सत्य वचन…

हिंदी छा जाए दुनिया में – उपमेंद्र सक्सेना

हिंदी छा जाए दुनिया में गीत-उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट जिससे हैं हम जुड़े जन्म से, वही हमारी प्यारी भाषा,हिंदी छा जाए दुनिया में, पूरी हो अपनी अभिलाषा।अपनी भाषा के हित में…

संवाद पर कविता – सुकमोती चौहान रुचि

संवाद पर कविता तुमसे कर संवाद, सुकूं मन को मिलता है |मधुर लगे हर भाष्य, सुमन मन में खिलता है |कर्णप्रिय हर बात, प्रेरणा देती हरदम | करके जिसको याद,…

माता है अनमोल रतन – बाबूराम सिंह

माता है अनमोल रतन माँ पर कविता स्वांस-स्वांस में माँहै समाई,सदगुरुओं की माँ गुरूताई।श्रध्दा भाव से करो जतन,माता है अनमोल रतन।।अमृत है माता की वानी, माँ आशीश है सोना -चानी।माँ…

इस वसुधा पर इन्सान वहीं – बाबूराम सिंह

कविता इस वसुधा पर इन्सान वहीं ----------------------------------------धन,वैभव,पदविद्या आदिका जिसको हैअभियाननहीं। सत्य अनुपम शरणागत इस वसुधा पर इन्सान वहीं। सत्य धर्म फैलाने आला, विषय पीकर मुस्काने वाला, अबला अनाथ उठाने वाला,…
Jai Sri Ram kavitabahar

राम को खेलावत कौशिल्या रानी / बाबूराम सिंह

राम को खेलावत कौशिल्या रानी / बाबूराम सिंह चैत शुक्ल नवमी को पावन अयोध्या में ,मध्य दिवस प्रगटाये रामचनद्र ज्ञानी।सुन्दर सुकोमल दशरथ नृपति -सुत ,भव्यसुख शान्ति सत्य सिन्धुछवि खानी।जिनके दर्शन…

दहेज प्रथा अभिशाप है – बाबूराम सिंह

दहेज प्रथा अभिशाप है दानव क्रूर दहेज अहा ! महा बुरा है पाप ।जन्म-जीवन नर्क बने,मत लो यह अभिशाप।।पुत्रीयों के जीवन में ,लगा दिया है आग।खाक जगत में कर रहा,आपस…