मोम की गुड़िया-बेटियां

मोम की गुड़िया-बेटियां मोम की गुड़िया सी कोमल होती है बेटियांमाता पिता के दुलार में पलती है बेटियांअनजान घर की बहू बनती तब भी बेटी का ही रूप होती है बेटियांखुदा की सौगात ,जमा पूंजी का ब्याज सी होती है बेटियां दिन का चैन और रातों की नीद भी उड जाती हैजब जवान हो जाती … Read more

जिन्दगी पर कविता

जिन्दगी पर कविता जिन्दगी है,  ऐसी कली।जो बीच काँटों के पली।पल्लवों संग झूल झूले,महकी सुमन बनके खिली। जिन्दगी  राहें अनजानी।किसकी रही ये पहचानी।कहीं राजपथ,पुष्पसज्जित,कहीं पगडण्डियाँ पुरानी। जिन्दगी सुख का सागर ।जिन्दगी नेह की गागर।किसी की आँखों का नूर ,धन्य विश्वास को पाकर। जब डगमगाती जिन्दगी।गमगीन होती जिन्दगी ।मिले  हौंसलों के पंख तबनभ में उड़ती है … Read more

यादों के झरोखे से

यादों के झरोखे से ख़तमिल गयातुम्हारा कोरा देखा, पढ़ा, चूमाऔरकलेजे से लगाकररख लिया अनकही थी जो बातसब खुल गयीकालिमा भरी थी मन मेंसब धुल गयी हृदय की वीणा बज उठीछेड़ दी सरगमचाहते थे तुम कितनामगर वक़्त था कम और तुमनेकुछ नहीं लिखकर भीजैसेसब कुछ लिख दिया मैंनेदेखा, पढ़ा, चूमाफिरकलेजे से लगाकररख लिया राजेश पाण्डेय*अब्र*  अम्बिकापुर

प्रभात हो गया

प्रभात हो गया उठोप्रात हो गयाआँखें खोलोमन की गठानें खोलो आदित्य सर चढ़करबोल रहा हैऊर्जा संग मिश्रीघोल रहा है नवल ध्वज लेकरअब तुम्हेंजन मन धन के निमित्तलक्ष्य की ओरजाना हैगंतव्य के छोर परपताका फहराना है असीम शक्ति तरंगेंतुम्हारे इंतज़ार में हैं उठो !मेघनाद की तरहहुंकार भरोघन गर्जन करो बढो!हासिल करोविजयी बनोइतिहास रचोसमर तुम्हारा है भाग्य … Read more

दोहा पंचक

doha sangrah

दोहा पंचक -रामनाथ साहू ननकी किन्नर  खूब  मचा  रहे ,  रेलयान  में   लूट ।कैसी है  ये  मान्यता , दी  है किसने  छूट ।। जल थल नीले गगन पर ,, मानव का आतंक ।दोहन जो  करता  मिले , सागर को ही पंक ।। हिंसा  हुई  बढ़ोतरी , होत   अहिंसा    छोट ।सबके  मन  को भा  गई , … Read more