नोहर होगे / डॉ विजय कन्नौजे

छत्तीसगढ़ कविता

नोहर होगे / डॉ विजय कन्नौजे नोहर होगे बटकी मा बासीबारा में राहय नुन।तिवरा के बटकर, बेलि नारके राहय सुघ्घर मुंग।। तिवरा नि बाचिस संगीगरवा के चरई मा।नेवता हावय तुमन लामोर गांव के मड़ई मा।। घातेच सुघ्घर लागथेमोर गांव के मड़ई।अड़बड़ मजा आथे संगीराऊत‌ मन के लड़ई। दोहा पारथे लाठी चालथेझुमर झुमर के नाच।जुरमिल के … Read more

तितली पर बाल कविता / पद्म मुख पंडा

तितली पर बाल कविता / पद्म मुख पंडा

तितली पर बाल कविता / पद्म मुख पंडा रंग बिरंगी तितली रानीआई हमरे द्वार मधुलिका ने उसको देखा,उमड़ पड़ा था प्यार!गोंदा के कुछ फूल बिछाकर,स्वागत किया सुहाना,तितली रानी, तितली रानी! मधुर कंठ से गाना!तेरा मेरा नाता तो है,बरसों कई पुराना!आई हो अभ्यागत बनकर,अभी नहीं तुम जाना,शहद और गुलकंद रखा है,बड़े मज़े से ख़ाना!घर में तुम्हें … Read more

पालक जागरूकता पर कविता / डॉ विजय कन्नौजे

पालक जागरूकता पर कविता / डॉ विजय कन्नौजे

पालक जागरूकता पर कविता / डॉ विजय कन्नौजे बुलाते हैं शिक्षक पालक कोपर आते नहीं है लोग।पालक बालक जागरूक होशिक्षक को लगाते दोष।‌अनुशासन की पाठ कहें तोकुछ शिक्षक नही निर्दोष।गेहूं के संग है कुछ घुन पीसेशिक्षक गरिमा हो दोस्त।। शिक्षा विभाग पद गरिमामानते हैं लोग गुरूनंत।विद्यालय है एक मंदिरजहां बाल रूप भगवंत।। बाल पाल अरू … Read more

चमकते सितारे/ आशीष कुमार

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चमकते सितारे नन्हे नन्हे और प्यारे प्यारेआसमान में चमकते सितारेदेखा दूर धरती की गोद सेलगता पलक झपकाते सारे ऊपर कहीं कोई बस्ती तो नहींजहाँ के चिराग दिखाएँ नजारेउड़ा ले गया कोई जुगनुओं कोआकाशगंगा सा टिमटिमाते सारे जला आया कोई दीपक लाखोंया मोमबत्तियाँ धरती को निहारेंलालटेनों की रोशनी तो नहींजो सुबह-सवेरे बुझ जाते बेचारे जड़ दिए … Read more

काम पर कविता/ सुकमोती चौहान

काम पर कविता/ सुकमोती चौहान

काम पर कविता लाख निकाले दोष, काम होगा यह उनका।उन पर कर न विचार, पाल मत खटका मन का।करना है जो काम, बेझिझक करते चलना।टाँग खींचते लोग, किन्तु राही मत रुकना।कुत्ते सारे भौंकते, हाथी रहता मस्त है।अपने मन की जो सुने, उसकी राह प्रशस्त है। ये दुनिया है यार, चले बस दुनियादारी।बन जायेगा बोझ, शीश … Read more