शीत ऋतु (ठण्ड) पर कविता
यहाँ पर शीत ऋतु (ठण्ड) पर कविता दिए गये हैं आपको कौन सी अच्छी लगी , नीचे कमेंट बॉक्स पर जरुर लिखें शीत ऋतु का आगमन घिरा कोहरा घनघोरगिरी शबनमी ओस की बूंदेबदन में होने लगीअविरत ठिठुरन ओझल हुई आंखों…
हिंदी कविता संग्रह
हिंदी कविता संग्रह
नाम — डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पिता — श्री गणेश राम कुर्रे
माता — श्रीमती फुलेश्वरी कुर्रे
शिक्षा — बीएससी(बायो)एम .ए.हिंदी ,संस्कृत,
समाजशास्त्र ,B.Ed ,कंप्यूटर पीजीडीसीए
व्यवसाय — शिक्षक
जन्मतिथि — 5 सितंबर 1984
प्रकाशित रचनाएं — बापू कल आज और कल(साझा संग्रह),चाँद के पार
साइंस वाणी पत्रिका, छ ग जनादेश अखबार, छ ग शब्द आदि कई पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित।
सम्मान — 1. राष्ट्रीय कवि चौपाल कोटा राजस्थान प्रथम द्वितीय तृतीय 2019।
2. श्रेष्ठ सृजन रचनाकार का सम्मान।
3. बिलासा साहित्य सम्मान ।
4. कला कौशल साहित्य सम्मान।
5. विचार सृजन सम्मान 2019।
6. अंबेडकर शिक्षा क्रांति अवार्ड।
7. छत्तीसगढ़ गौरव अलंकरण अवार्ड 2019
8. मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण अवार्ड 2019
पता — ग्राम पीपरभावना, पोस्ट- धनगांव,तहसील-बिलाईगढ़, जिला- बलौदाबाजार ,छत्तीसगढ़
पिन – 493559
मोबाइल नंबर – 8120587822
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रचना शीर्षक - कोरोना v.s ज़िंदगी
यहाँ पर डिजेन्द्र कुर्रे के सर्वश्रेष्ठ 5 माहिया छंद प्रस्तुत हैं माहिया छंद -भारत की माटी पूजा की आरत हैं,समता है जिसमें….यह मेरा भारत है हो स्वर्ग हिमालय सा,हृदय रहे अपना…कैलाश शिवालय सा पावन परिपाटी हैंचंदन के जैसाभारत की माटी…
पुण्य तिरंगे की रक्षा में लावणी छंद देश भक्ति रचना है।
प्रकति पर सुंदर चित्रण किया गया है।
यह विभिन्न श्रेणियों के अर्न्तगत हिंदी, अंग्रेजी तथा अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओँ एवं ब्रेल लिपि में पुस्तकें प्रकाशित करता है। यह हर दूसरे वर्ष नई दिल्ली में ‘विश्व पुस्तक मेले’ का आयोजन करता है, जो एशिया और अफ्रीका का सबसे बड़ा पुस्तक मेला है। यह प्रतिवर्ष…
हम भारत के वासी जन्म लिए जिस पुण्य धरा पर,इस जग में जो न्यारा है।हम भारत के वासी हम तो,कण -कण इसका प्यारा है। देश वासियों चलो देश का,हमको मान बढ़ाना हैं।दया-धरम सदभाव प्रेम से,सबको गले लगाना हैं।द्वेष-कपट को त्याग…
सावन पर दोहे ★★★★★★★★सावन में पड़ने लगी,रिमझिम सरस फुहार।हरित चुनर ओढ़ी धरा,सुरभित है संसार।। कोयल कूके बाग में , दादुर करते शोर।सौंधी माटी की महक,फैल रही चहुँ ओर।। कल कल कर बहने लगी,धरती में जल धार।पावस का वरदान पा,आलोकित संसार।।…
किसान पर दोहे धरती पुत्र किसान का , मत करना अपमान।जो करता सुरभित धरा,उपजाकर धन धान।। कॄषक सभी दुख पीर में , आज रहे है टूट।करते रहे बिचौलिए , इनसे निसदिन लूट।। रत्ती भर जिनको नही,फसल उपज का ज्ञान।वे अयोग्य…
अनुशासन पर दोहे