बसंत की बहार में
बसंत की बहार में बसंत दूत कोकिला, विनीत मिष्ठ बोलती।बखान रीत गीत से, बसंत गात डोलती। बसंत की बहार में, उमा महेश साथ में।बजाय कान्ह बाँसुरी,विशेष चाल हाथ में। दिनेश छाँव ढूँढते , सुरेश स्वर्ग वासते।सुरंग पेड़ धारते, प्रसून काम सालते। कली खिले बने प्रसून, भृंग संग सोम से।खिले विशेष चंद्रिका मही रात व्योम से। … Read more