दरिद्र कौन / पद्ममुख पंडा

दरिद्र कौन / पद्ममुख पंडा

“दरिद्र कौन” कविता, कवि पद्ममुख पंडा द्वारा रचित है। यह कविता उन लोगों पर आधारित है जो वास्तविक दरिद्रता (गरीबी) और स्वाभिमान को पहचानते हैं। इसमें कवि यह संदेश देने की कोशिश करते हैं कि दरिद्रता केवल धन की कमी नहीं होती, बल्कि नैतिक मूल्यों, दया और संवेदना की कमी भी दरिद्रता का रूप होती … Read more

कल्पना शक्ति पर कविता

कल्पना शक्ति बनाम मन की अभिव्यक्ति! भावावेश में आकर,कल्पनाओं के देश में जाकर,अक्सर बहक जाता हूं, खुद को पंछी सा समझ कर,उड़ता हूं, उन्मुक्त गगन में,खुशी से, चहक जाता हूं!यह मेरे, मन की, भड़ास हैया कि छिछोरा पागलपन,क्या कुछ है, मुझे नहीं पता,लगता है जैसे कि, कच्चा कोयला हूं,जब तब, अंगार लगती है तो,जलता है … Read more

तृषित है मन सबका!

तृषित है मन सबका!***शंकर ने, विष पान किया,तब नील कण्ठ कहलाए,व्याघ्र चर्म का, वसन पहनकर,मंद मंद मुसकाए!विष धर को, गलहार बनाया, नंदी पीठ बिरजाए,चंद्र शीश पर रखकर, शिव जी,चंद्रमौली कहलाए!पर्वत पर आशियां बनाया, डमरू हाथ बजाए,कंद मूल खाकर ही जिसने, ताण्डव नृत्य सिखाए!प्रतीकात्मक ही इसे मानकर,स्तुति करते आए,मन है तृषित, आज हम सबका,दुनिया में भरमाए!कहे … Read more

बड़ी दौलत सेहत पर कविता

सेहत सबसे बड़ी दौलत है ज़िंदगी को जियो, बड़े इत्मीनान से,कटेगी ज़िंदगी, बड़े शान से!हर पल,हर घड़ी, बिना किसी तनाव से,खुशी में, करो काम, बड़े चाव से!अकेलापन महसूस होता है जब,करना चाहिए कोई काम तब,व्यस्तता रहेगी तो, समय का क्या?पता नहीं चलेगा, वक्त गुजरा कब!धन दौलत का नशा, कभी उतरता नहीं,आदमी को चाहिए, जब तक … Read more

समय की चाल – पद्म मुख पंडा

समय की चाल सहज नहीं, जीवन भी जीना, नित उत्साह जरूरी है।हार गया, जो मन से, मानव की यह आदत, बूरी है।आएंगे तूफ़ान किस घड़ी, किसको भला पता है,निर्भय होकर, रहो जूझते, मिले सफलता पूरी हैज्ञानार्जन है बहुत जरूरी, बिना ज्ञान क्या कर सकते?विद्वतजन के साथ रहें तो, ये जीवन की धूरी है!है परिवर्तन शील … Read more