कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

बाल मजदूर पर कविता (लावणी छंद मुक्तक)

बाल श्रम निषेध दिवस

हर साल 12 जून को विश्व दिवस बाल श्रमिकों की दुर्दशा को उजागर करने और उनकी मदद के लिए किया जा सकता है, इसके लिए सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों, नागरिक समाज के साथ-साथ दुनिया भर के लाखों लोगों को एक…

आँख खुलने लगी / नीलम

chandani raat

आँख खुलने लगी/ नीलम आँख खुलने लगी/ नीलम रात के पिछले पहर मेंशीत की ठंडी लहर मेंकोहरे की चादर ओढ़ेसो रहे थे चाँद-तारे धीरे -धीरे धरा सरकतीजा पहुँची प्राची के द्वारेथरथराती ठंड से सिकुड़तीथपथपा खुलवा रही थी द्वार उषा ने…

मानवता के दीप /भुवन बिष्ट

help to each other

मानवता के दीप/ भुवन बिष्ट मानवता के दीप/ भुवन बिष्ट हम तो सदा ही मानवता के दीप जलाते हैं,उदास चेहरों पर सदा मुस्कराहट लाते हैं। हार मानकर  बैठते जो कठिन राहों को देख,हौंसला बढ़ाकर उनको भी चलना सिखाते हैं। कर देते…

चांदनी रात / क्रान्ति

chandani raat

चांदनी रात / क्रान्ति द्वारा रचित चांदनी रात / क्रान्ति चांदनी रात मेंपिया की याद सताएमिलने की चाहदिल में दर्द जगाए।। हवा की तेज लहरजिगर में घोले जहरकैसे बताऊं मैं तुम्हेंसोई नहीं मैं रातभर।। दिल के झरोखे मेंदस्तक देती हवाएंदेखकर…

धूप की ओट में बैठा क्षितिज / निमाई प्रधान’क्षितिज’

क्षितिज सूर्य

धूप की ओट में बैठा क्षितिज /निमाई प्रधान’क्षितिज’ रवि-रश्मियाँ-रजत-धवल पसरीं वर्षान्त की दुपहरी मैना की चिंचिंयाँ-चिंयाँ से शहर न लगता था शहरी वहीं महाविद्यालय-प्रांगण में प्राध्यापकों की बसी सभा थी किंतु परे ‘वह’ एक-अकेला छांव पकड़ना सीख रहा था !…