कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

नोहर होगे / डॉ विजय कन्नौजे

छत्तीसगढ़ कविता

नोहर होगे / डॉ विजय कन्नौजे नोहर होगे बटकी मा बासीबारा में राहय नुन।तिवरा के बटकर, बेलि नारके राहय सुघ्घर मुंग।। तिवरा नि बाचिस संगीगरवा के चरई मा।नेवता हावय तुमन लामोर गांव के मड़ई मा।। घातेच सुघ्घर लागथेमोर गांव के…

गणतंत्र दिवस अमर रहे / डॉ मनोरमा चंद्रा ‘ रमा ‘

Happy Republic day

गणतंत्र दिवस अमर रहे,सब के मुख में नारा है।मातृभूमि पर शीश नवा लें,हिंदुस्तान हमारा है।। धरती से अंबर है पुलकित, वीरों के योगदान से। कदम-कदम पर हुए न्यौछावर, अपने शौर्य अभिमान से।। हुआ लागू संविधान जब,स्वप्न हुआ साकार है।महापुरुषों के…

छेरछेरा / राजकुमार ‘मसखरे’

छत्तीसगढ़ कविता

छेरछेरा / राजकुमार ‘मसखरे’ छेरिक छेरा छेर मरकनिन छेरछेरामाई कोठी के धान ल हेर हेरा. आगे पुस पुन्नी जेखर रिहिस हे बड़ अगोराअन्नदान के हवै तिहार,करे हन संगी जोरा…छेरछेराय बर हम सब जाबोधर के लाबो जी भर के बोरा…..! आजा…

दिल एक मंदिर / पद्म मुख पंडा

दिल एक मंदिर मंदिरों में, अगर, भगवान रहा होताहर कोई भक्त, बहुत धनवान, रहा होता! गरीबी में, जिंदगी, यूँ नहीं गुजरती,मजे में, हर कोई इन्सान ,रहा होता! सच्चाई की, न उड़ती ,यूँ धज्जियां,झूठ से, न कोई भी, परेशान रहा होता!…

रोटी / विनोद सिल्ला

रोटी सांसरिक सत्य तोयह है किरोटी होती हैअनाज कीलेकिन भारत में रोटीनहीं होती अनाज कीयहाँ होती हैअगड़ों की रोटीपिछड़ों की रोटीअछूतों की रोटीफलां की रोटीफलां की रोटीऔर हांयहाँ परनहीं खाई जातीएक-दूसरे की रोटी। -विनोद सिल्ला Post Views: 71