Author: कविता बहार

  • श्रीकृष्ण पर दोहे

    श्रीकृष्ण पर दोहे

    श्रीकृष्ण पर दोहे

    shri Krishna
    Shri Krishna

    सुभग सलोने सांवरे
    नटवर दीन दयाल
    निरख मनोहर श्याम छवि
    नैना हुए निहाल

    छवि मोहन की माधुरी
    नैना लीन्ह बसाय
    जित देखों वो ही दिखे
    और ना कछु लखाय

    गावत गुण गोपाल के
    दही मथानी हाथ
    ब्रज जीवन निर्भय भयो
    श्याम तुम्हारे साथ

    पुष्पा शर्मा “कुसुम”

  • अविनाश तिवारी के दोहे

    अविनाश तिवारी के दोहे

    अविनाश तिवारी के दोहे


    घड़ी

    घड़ी घड़ी का फेर है,
        मन में राखो धीर।
    राजा रंक बन जात है,
       बदल जात तकदीर।।

    प्रेम

    प्रेम न सौदा मानिये,
        आतम  सुने पुकार।
    हरि मिलत हैं प्रीत भजे
    मति समझो व्यापार।।

    दान

    देवन तो करतार है,
      मत कर रे अभिमान।
    दान करत ही धन बढ़ी,
       व्यरथ पदारथ जान।।

    व्यवहार

    कटुता कभू न राखिये,
       मीठा राखो व्यवहार
    इक दिन सबे जाना है,
        भवसागर के पार।।

    अविनाश तिवारी


  • कारगिल विजय दिवस पर कविता

    कारगिल विजय दिवस पर कविता

    कारगिल विजय दिवस

    कारगिल विजय दिवस पर कविता
    कारगिल-की-वीर

    कारगिल विजय दिवस है,जीत का त्यौहार है ।
    उन  शहीदों  को  नमन  है,वंदन  बार-बार है ।।

    वीर तुम बढे चले थे,चल रही थी गोलियाँ ।
    बर्फ  की  चादरों   पे दुश्मनों की टोलीयाँ ।।
    मगर तुम रुके  नहीं,   इंच भी डिगे नहीं ।
    सर्द  थी   घाटियाँ    पर  लहुँ में  गर्मियाँ ।।
    हाथ में तिरंगा और जय हिंद की बोलियाँ ।
    दुश्मनों के टैंक को तुमने जब उडाया था ।।
    देख शौर्य सेना   का  पाक थर्राया था ।
    याद में बहने लगी आँसुओ की धार है ।।
    उन  शहीदों  को  नमन  है,वंदन  बार-बार है ।

    कितने लाल मिट गये, पुंछ गया सिंदूर था ।
    खोकर पुत्र  पिता का  ह्रदय चूर-चूर था ।।
    पूछती थी बेटियाँ की पापा  कब आएंगे ।
    फ्रॉक का किया था वादा कब हमें दिलाएंगे ।।
    चुप पड़ी थी राखियाँ सूनी थी कलाइयाँ ।
    माँ भी आखरी समय ले रही बलाईया ।।
    उठ रही थी अर्थियां गाँव उमड़ ही पड़ा ।
    देश का वो लाडला लो चला लो चला ।।
    हम सभी आज भी उनके कर्जदार है ।
    उन शहीदों को नमन है वंदन बार -बार है।।

    देश की विडंबना, ये भी कैसा दौर है ।
    लाश है शीशकटी और सब खामोश है ।।
    सेना के न हाथ बांधो एक बार खोल दो ।
    छोड़कर शान्ति के युद्ध बोल बोल दो ।।
    शान से जियेंगे या तो शान से मरेंगे हम ।
    रोज-रोज की पीड़ा अब न सहेंगे हम ।।
    ख्वाब में बिल्ली के छिछड़ो की बात है ।
    शेरो से लड़ेंगे क्या गीदड़ों की जात है ।।
    अब तो युद्ध  में केवल आर-पार  है ।
    उन शहीदों को नमन है वंदन बार -बार है ।।

                              ‘ पंकज

  • किसान पर हाइकु

    किसान पर हाइकु

    किसान पर हाइकु

    किसान खेत जोतते हुए
    hindi haiku || हिंदी हाइकु

    मेघ बरसे
    अनचाही बारिश
    टूटती आस

    खड़ी फसल
    हो रही है बर्बाद
    रोता किसान

    खेत हैं सूखे
    भूख कौन मिटायें
    बंजर धरा।

    रस्सी के फंदे
    शाहकारों का कर्ज
    लम्बी गर्दन।

    कर्ज से मुक्ति
    शासन से राहत
    कृषक हंसा।

    अविनाश तिवारी

  • राख विषय पर हाइकु -रमेश कुमार सोनी

    राख विषय पर हाइकु -रमेश कुमार सोनी

    राख विषय पर हाइकु- रमेश कुमार सोनी

    हाइकु
    hindi haiku || हिंदी हाइकु


    1
    मोक्ष ढूंढने
    चला – चली की बेला
    राख हो चला ।।

    2
    राख का डर
    जिंदगी ना रुकती
    मौत है सखी ।।

    3
    पानी जिंदगी
    अग्नि , राख की सखी
    नहीं निभती ।।

    4
    राख बैठे हैं
    भूखे – प्यासे बेचारे
    शमशान गाँव ।।

    5
    राख तौलते
    सब राख के भाव
    तेरा ना मेरा ।।

    6
    राख हो जाने
    जिंदगी का श्रृंगार
    चार दिन का ।।

    7
    राख में उगे
    आशा के दूब हरे
    श्रम का भाग्य ।।