श्रीकृष्ण पर दोहे
सुभग सलोने सांवरे
नटवर दीन दयाल
निरख मनोहर श्याम छवि
नैना हुए निहाल
छवि मोहन की माधुरी
नैना लीन्ह बसाय
जित देखों वो ही दिखे
और ना कछु लखाय
गावत गुण गोपाल के
दही मथानी हाथ
ब्रज जीवन निर्भय भयो
श्याम तुम्हारे साथ
पुष्पा शर्मा “कुसुम”
घड़ी घड़ी का फेर है,
मन में राखो धीर।
राजा रंक बन जात है,
बदल जात तकदीर।।
प्रेम न सौदा मानिये,
आतम सुने पुकार।
हरि मिलत हैं प्रीत भजे
मति समझो व्यापार।।
देवन तो करतार है,
मत कर रे अभिमान।
दान करत ही धन बढ़ी,
व्यरथ पदारथ जान।।
कटुता कभू न राखिये,
मीठा राखो व्यवहार
इक दिन सबे जाना है,
भवसागर के पार।।
अविनाश तिवारी
1
मोक्ष ढूंढने
चला – चली की बेला
राख हो चला ।।
2
राख का डर
जिंदगी ना रुकती
मौत है सखी ।।
3
पानी जिंदगी
अग्नि , राख की सखी
नहीं निभती ।।
4
राख बैठे हैं
भूखे – प्यासे बेचारे
शमशान गाँव ।।
5
राख तौलते
सब राख के भाव
तेरा ना मेरा ।।
6
राख हो जाने
जिंदगी का श्रृंगार
चार दिन का ।।
7
राख में उगे
आशा के दूब हरे
श्रम का भाग्य ।।