Category हिंदी कविता

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कृष्ण रंग रंगी मीरा /अर्चना पाठक

कृष्ण रंग रंगी मीरा/ अर्चना पाठक तज महल अटारी ,कर सितार लिये गली गली श्याम संग घूमी मीरा । वीणा के तार कृष्ण दास हुये भक्ति के रंग में रंगी मीरा । पराधीनता की गहरी टीस लिये। विरक्ति के गीत…

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गिरिराज गोवर्धन की महिमा

गिरिराज गोवर्धन की महिमा संसार में भक्ति प्रेम अनुरक्ति से मिलता छप्पर फाड़।ब्रज वासियों की रक्षा में उठाये कृष्ण गोवर्धन पहाड़। द्वापर युग की बात,क्यों पूजन करें हम इंद्र देवता को।जब गिरि गोवर्धन चारा दें,सिचिंत करें धरती मात को।जिनसे हम…

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श्रीकृष्ण पर कविता – रेखराम साहू

श्रीकृष्ण पर कविता – रेखराम साहू महाव्याधि है मानवता पर, धरा-धेनु गुहराते हैं।आरत भारत के जन-गण,हे कान्हा! टेरते लगाते हैं।। चित्त भ्रमित संकीर्ण हुआ है,हृदय हताहत जीर्ण हुआ है।धर्मभूमि च्युतधर्म-कर्म क्यों,अघ अधर्म अवतीर्ण हुआ है ।।संस्कृति के शुभ सुमन सुगंधित…

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सम्पूर्ण श्री कृष्ण गाथा पर कविता

सम्पूर्ण श्री कृष्ण गाथा कृष्ण लीलाकाली अँधेरी रात थी ,होने वाली कुछ बात थी ,कैद में थे वासुदेव,देवकी भी साथ थीं। कृष्ण का जन्म हुआ,हर्षित मन हुआ,बंधन मुक्त हो गए,द्वारपाल सो गए। एक टोकरी में डाल ,सर पर गोपाल बाल,कहीं…

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पृथ्वी माता पर कविता/  विजय कुमार कन्नौजे

पृथ्वी माता पर कविता/  विजय कुमार कन्नौजे मां की गरिमा मां ही जानेंइनकी महिमा कौन बखानेमातृ भूमि को मेरा प्रणामसीना तानें जग को बचाने।। रसातल गगन बीच बैठकरसम भाव खुद में सहेज करपृथ्वी माता तुम्हें है प्रणामरक्षा कीजिए मां पुत्र…

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कारवाँ पर कविता / रमेश कुमार सोनी

कारवाँ पर कविता / रमेश कुमार सोनी धरती माँ से सुनीकल एक कहानीदूध की नदियाँ औरसोने की चिड़िया थी कभीआँचल रत्नगर्भा औरपानी की अमृतधारा थी यहींवृक्षों की ठंडी छाँह औरखट्टे-मीठे फल का स्वादपरोसती थी वो कभी । आज मुझे वो…

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लोकतंत्र का पर्व / आशीष कुमार

लोकतंत्र का पर्व / आशीष कुमार लोकतंत्र का पर्व पावन परम हैमतदान हमारा पुनीत करम हैबज चुका है चुनावी बिगुलपक्ष-विपक्ष सबका मामला गरम है कोई कट्टरपंथी चरम हैकोई दिखाता खुद को नरम हैटर्र टरा रहे चुनावी मेंढकहर जगह मामला गरम…

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बिटिया के मुखड़े पर धवल मुस्कान

बिटिया के मुखड़े पर धवल मुस्कान मनुजता शूचिता शुभता,खुशियों की पहचान होती है।जहाँ बिटिया के मुखड़े पर,धवल मुस्कान होती है।इसी बिटिया से ही खुशियाँ,सतत उत्थान होती है।जहाँ बिटिया के मुखड़े,पर धवल मुस्कान होती है। सदन में हर्ष था उस दिन,सुता…

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आज बेटी किसी की बहू

आज बेटी किसी की बहू गीत – उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट दर्द को जो समझते नहीं हैं कभी, बेटियों से किसी की करें हाय छल।क्यों बहू को यहाँ नौकरानी समझ, जुल्म ढाने लगे लोग हैं आजकल।। आज बेटी किसी की बने…