
विश्व पृथ्वी दिवस / देवेन्द्र चरन खरे आलोक
विश्व पृथ्वी दिवस / देवेन्द्र चरन खरे आलोक पृथ्वी हमें पैदा करती है।भूख उदर की भी हरती है।।जो कुछ भी उत्पन्न हुआ है।सब इसकी ही रही दुआ है।। गोदी में हम सब खेले हैं।खुशियों के लगते मेले हैं।।जल जंगल पर्वत मालाएँ।गीत…