Category हिंदी कविता

भारत का लाज बन जायें

भारत का लाज बन जायें भारत का लाज बन जायें।मुल्क की नाज बन जायें।युग – युग अमर कहानेभारत का लाल बन जायें। प्रण करें करबद्ध चित,नित प्रतिदिन करते नमन।सदैव ही मेरे वतन का,इस धरा पर मैं लूँ जनम। प्रेम के…

फरियादी हो (बेटी पर कविता)

फरियादी हो (बेटी पर कविता) आज कोख की बेटी ही,अब पूछे बन फरियादी हो। बिना दोष क्यों बना दिया है,मुझको ही अपराधी हो। ईश विधान जन्म मेरा फिर,तुम क्यों पाप कमाते हो।सुख दुःख का अनुमान लगा,हत्यारे बन जाते हो।आज कोख……।…

लबों पे है तेरा नाम

लबों पे है तेरा नाम लब  पे नाम  तेरा सुमिरूँ मैं सुबह शाम मोहन  मेरे  श्याम । आँखों  में तुम बसे होसाँसों की माला  में ओ मोहन  बस तेरा ही  नाम । तुम जगत  नियंता भक्तों को प्यारे ।हे गोविन्द  मेरे…

जीवन उथल पुथल कर देगा

जीवन उथल पुथल कर देगा पल भर का सम्पूर्ण समागम ,जीवन उथल पुथल कर देगा।तुम चाहे जितना समझाओ,पर यह भाव विकल कर देगा। 1.आँखो  में  आँखो  की भाषा ,लिखना पढ़ना रोज जरा सा।सपनों  का   सतरंगी    होना,देख चाँद सुध बुध का…

हिंदी हास्य कविता संग्रह (Hasya Kavita in Hindi)

Popular Hasya Kavita in Hindi: नमस्कार पाठकों , यहां पर हमने हिंदी हास्य कविता संग्रह की है। यह हिंदी हास्य कविता (Hindi Hasya Kavita) बहुत ही प्रसिद्ध कवियों द्वारा रचित है। उम्मीद करते हैं आपको यह हास्य कविता (hindi funny poem) पसंद आयेगी।…

ये लहू है आँखों का कोई पानी नहीं है

ये लहू है आँखों का कोई पानी नहीं है जज़्बातों की होगी ज़रूरत समझने को इसे लफ़्ज़ों से समझ जाए कोई ये वो कहानी नहीं हैये जो लग रहा है गिला सा आँख टूटे हुआ दिल काये लहू है आँखों…

दिसंबर महीने पर कविता

दिसंबर महीने पर कविता आ गये दिसंबर केठिठुराते  दिन।कोहरे की चादर धूप भाये पल झिन । आ गये दिसंबर के ठिठुराते दिन । लुका छुपी करतासूरज  दादा  आसमां पेबेमौसम पानी बरसे रिमझिम । आ गये दिसंबर के ठिठुराते दिन ।…

सायली विधा में रचना – मधुमिता घोष

सायली विधा में रचना – मधुमिता घोष बचपनबीत गयाआई है जवानीउम्मीदें बढ़ीसबकी. चलोउम्मीदों केपंख लगा करछू लेंआसमाँ. आँखेंभीगी आजयादों में तेरीखो गयेसपने. सपनेखो गयेइन आँखों केबिखर गईआशायें.   मधुमिता घोष “प्रिणा” Post Views: 69

चल मेरे भाई – वन्दना शर्मा

चल मेरे भाई – वन्दना शर्मा चलो आज गुजार लेते हैं कुछ खुशी के लमहे,बन जाते हैं एक बार फिरसिर्फ इंसान,और चलते हैं वहाँउसी मैदान में जहाँ,राम और रहीम एक साथ खेलते हैं।चढ़ाते हैं उस माटी का एक ही रंगचलते…

आईना पर कविता – कुमुद श्रीवास्तव वर्मा

आईना पर कविता – कुमुद श्रीवास्तव वर्मा हमको, हमीं से मिलाता है आईना. इस दिल के जज्बात बताता है आईना. हुआ किसी पे फिदा ,ये बताता है आईना. संवरनें की चाह जगाता है आईना. उम्र के तजुर्बों को बताता है…