हमर छेरछेरा तिहार पर कविता

गीत – हमर छेरछेरा तिहार

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सुख के सुरुज अंजोर करे हे,हम सबझन के डेरा म।
हाँसत कुलकत नाचत गावत,झूमत हन छेरछेरा म।।
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आज जम्मो झन बड़े बिहनिया, ले छेरछेरा कुटत हे।
कोनलईका अउ कोन सियनहा,कोनो भी नई छूटत हे।
ये तिहार म सब मितान हे,इही हमर पहचान हावय।
मनखे मन ल खुशी देवैईया,सोनहा सुघ्घर बिहान हावय।
है जुगजुग ले छत्तीसगढ़ ह, सुख सुमता के घेरा म।
हाँसत कुलकत नाचत गावत,झूमत हन छेरछेरा म।।
//2//
थोरको फुरसद आज कहा हे,घर म हमर सुवारी ल।
सुतउठ के लिपे हावय , घर अउ जमो दुवारी ल।
रंग – रंग के रोटी पीठा , घर म बईठ चुरोवत हे।
छेरछेरा बर टुकना-टुकना, ठीन्ना धान पुरोवत हे।
अबड़ मंजा करथें लईका मन,ये तिहार के फेरा म।
हाँसत कुलकत नाचत गावत,झूमत हन छेरछेरा म।

डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”

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