जगन्नाथ रथयात्रा पर हिंदी कविता (Jagannath Rathyatra)

रथ यात्रा दूसरे शब्दों में रथ महोत्सव एकमात्र दिन है जब भक्तों को मंदिर में जाने की अनुमति नहीं है, उन्हें देवताओं को देखने का मौका मिल सकता है। यह त्योहार समानता और एकीकरण का प्रतीक है।रथ यात्रा भारत के पुरी में जून या जुलाई के महीनों में आयोजित भगवान जगन्नाथ (भगवान विष्णु का अवतार) से जुड़ा एक प्रमुख हिंदू त्योहार है| पुरी रथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है और हर साल एक लाख तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती है, न केवल भारत से बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों से भी।

महिला दिवस पर कविता

महिला दिवस पर कविताबेखबर स्त्रियांमुझे स्त्री कहो या कवितानारी का सम्मान करोअर्धांगिनीहाँ मैं नारी हूँइंसान के रूप मे जानवरतुझको क्या लगता हैलगता है मेरी अस्थियो को फिकँवाने चले हैनारी तुम हो नदी की…
mahapurush

शहीदों पर कविता

शहीदों पर कविता , उस व्यक्ति को हम शहीद कहते हैं. ऐसे व्यक्ति जो कि किसी भी लड़ाई में देश की सुरक्षा करते हुए या देश के नागरिकों की सुरक्षा करते…
holi

होली पर कविता

होली पर कविता होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। प्राचीन काल में लोग चन्दन और गुलाल से ही होली खेलते थे।…

शाकाहारी दिवस पर कविता

प्रत्येक वर्ष 1 नवंबर को विश्व स्तर पर वर्ल्ड वैगन डे यानि विश्व शाकाहारी दिवस मनाया जाता है। यह दिन मनुष्यों, जानवरों और प्राकृतिक पर्यावरण के लिए शाकाहारी होने के…
doha sangrah

वृक्षारोपण पर दोहे

वृक्षारोपण पर दोहे डिजेन्द्र कुर्रे "कोहिनूर" पर्यावरण सुधार पर , वृक्ष लगा दो चार।धरा बने जब सुंदरम,करना जय जयकार।। पावन मन से सब जुड़े,धरा बनाएं स्वच्छ।पर्यावरण सुधार कर, सुख पनपे…
save nature

पर्यावरण दिवस के दोहे

आज पर्यावरण असंतुलन हो चुका है . पर्यावरण को सुधारने हेतु पूरा विश्व रास्ता निकाल रहा हैं। लोगों में पर्यावरण जागरूकता को जगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित विश्व…
morning

भोर पर कविता -रेखराम साहू

भोर पर कविता -रेखराम साहू सत्य का दर्शन हुआ तो भोर है ,प्रेम अनुगत मन हुआ तो भोर है। सुप्त है संवेदना तो है निशा ,जागरण पावन हुआ तो भोर…
doha sangrah

मनोरमा चंद्रा के दोहे

मनोरमा चंद्रा के दोहे मिथ्या मिथ्या बातें छोड़कर, सत्य वचन नित बोल।दुनिया भर में यश बढ़े, बनें जगत अनमोल ।। अपने मन में ठान कर, मिथ्या का कर त्याग।जीवन कटे…