एक कविता हूँ
एक कविता हूँ! उंगलियों में कलम थामेसोचता हूँ…कि कहींहै वह ध्वनिजो उसे ध्वनित करे…!मैं अंतरिक्ष में तैरता..कल्पनाओं मेंछांटता हूँशब्दमीठे -मीठेकोई शब्द मिलता नहीं मुझेजो इंगित करे उसेबस….उंगलियों से ही उसे –उकेरता हूँ …मिटाता हूँ ।उंगलियों में कलम थामे…मैं सोचता हूँ…