ओ नारी- मनीभाई नवरत्न

ओ नारी- मनीभाई नवरत्न जिन्दगी चले ना, बिन तेरे ओ नारी!उठा ली तूने,  सिर अपने  ऐसी जिम्मेदारी । मर्दों ने नाहक किये खुद पे ऐतबार ।सच तो यह है कि नारी होती जग की श्रृंगार ।महक ऐसे , फूल जैसे खिल उठे क्यारी क्यारी ।रोशन होता रहे तेरा जी,  फैले ज्ञान की चिनगारी ।। संयमित … Read more

आओं खेलें सब खेल

आओं खेलें सब खेल आओं खेलें सब खेल ।बन जाओ सब रेल।छुक छुक करते जाओ ।सवारी लेते जाओ ।कोई छुट  ना जाए ।हमसे रूठ ना जाए ।सबको ले जाना जरूरी ।तय करनी लम्बी दूरी ।सबको मंजिल पहुंचायेंगे ।घुम फिरकर घर आयेंगे । मनीभाई नवरत्न

हे नारी तू खास है

चोका:- नारी तू खास है★★★★★ हर युद्ध काजो कारण बनतालोभ, लालचकाम ,मोह स्त्री हेतुपतनोन्मुखइतिहास गवाहस्त्री के सम्मुखधाराशायी हो जाताबड़ा साम्राज्यशक्ति का अवतारनारी सबला।स्त्री चीर हरण सेकौरव नाशमहाभारत कालरावण अंतसीता हरण करस्त्री अपमानहर युग का अंत।आज का दौरनारी सब पे भारीगर ठान लेदिशा मोड़े जग कासहनशीलप्रेम त्याग की देवीधैर्य की धागाबांधकर रखतीदेवों का वासतेरे आस पास … Read more

मनखे के कोरा भक्ति पर व्यंग्य

मनखे के कोरा भक्ति पर व्यंग्य

हनुमान जंयती   “धरव -पकड़व -कुदावव”अउ सब्बो झन तोआवव।चढ़गय बेंदरा रूख म त,ढेला घलव बरसावव।अइसने करम करत हावे,आज के मनखे।मनावत हे “हनुमान जयंती”सीधवा अस बनके। सबों जीव के रखबो जीजूरमिल के मानबेंदरा घलव ल तोजानव हनुमानबड़ सुघ्घर नता हावे,बेंदरा अऊ इनसान के।बड़ भारी सेना रहिन ,श्रीराम भगवान के । हनुमान-राम के नता ल,सब्बोझन जानथे।बेंदरा तभ्भे … Read more

शौचालय विशेष छतीसगढ़ी कविता

शौचालय विशेष छतीसगढ़ी कविता सुधारू केहे-“कस रे मितान!तोला सफई के,नईये कछु भान।तोर आस-पास होवथे गंदगीइही च हावे सब्बो बीमारी के खान।” बुधारू कहे-“मय रेहेंव अनजान।लेवो पकड़त हावों मोरो दूनों कान।लेकम येकर सती, का करना चाही संगी ?अहू बात के,  कर दो बखान। सुधारू कहे-“हमर सरकार लमहतारी मोटियारी के चिंता हावे।शौचालय बना लेवो जम्मोये मे अब्बड़ … Read more