ओ नारी- मनीभाई नवरत्न
ओ नारी- मनीभाई नवरत्न जिन्दगी चले ना, बिन तेरे ओ नारी!उठा ली तूने, सिर अपने ऐसी जिम्मेदारी । मर्दों ने नाहक किये खुद पे ऐतबार ।सच तो यह है कि नारी होती जग की श्रृंगार ।महक ऐसे , फूल जैसे खिल उठे क्यारी क्यारी ।रोशन होता रहे तेरा जी, फैले ज्ञान की चिनगारी ।। संयमित … Read more