बेताज बादशाह – वन्दना शर्मा

बेताज बादशाह – वन्दना शर्मा आज देखा मैंने ऐसा हरा भरा साम्राज्य…धन धान्य से भरपूर….सोना उगलते खेत खलियान…कल कल बहती नदियाँ….. चारों ओर शांति,सुख, समृद्धि…और वहीं देखा ऐसा बेताज बादशाह….जो अपने हरएक प्रजाजन को..परोस रहा था अपने हाथ से भोजन पानी.. अपने साम्राज्य के विस्तार में..हर कोने की खबर है उसको..कौन बीमार है, किसको कितनी … Read more

मुफ्त की चीज पर कविता

मुफ्त की चीज पर कविता मुफ्त की चीजों से..19.03.22———————————————हमारी आदत सी हो गई हैकि हमें सब कुछ मुफ्त में चाहिएभिखारियों की तरह हम मांगते ही रहते हैंराशन पानी बिजली कपड़ा मकान रोजगार मोबाइल और मुफ्त का वाईफाई कनेक्शन मुफ्त की चीजों सेबदलने लगे हैं हमारे खून की तासीरहम कमाना नहीं चाहते अमरबेल की तरह फैलना … Read more

मेला पर बाल कविता

मेला पर बाल कविता कविता 1 काले बादल, काले बादल। मत पानी बरसाओ बादल ॥ मुझे देखने मेला जाना । यहाँ नहीं पानी बरसाना। मेले से जब घर आ जाऊँ। तुमको सारा हाल सुनाऊँ। तब चुपके से गाँव में आता। छम-छम कर पानी बरसाना ।। कविता 2 जब जब भी है आता मेलाहमको खूब लुभाता … Read more

हाथी पर बाल कविता

हाथी पर बाल कविता हाथी पर कविता 1 हाथी आया झूम के,धरती माँ को चूम के। टाँगे इसकी मोटी हैं,आँखें इसकी छोटी हैं। गन्ने पत्ती खाता है,लंबी सूँड़ हिलाता है। सूपा जैसे इसके कान,देखो-देखो इसकी शान ॥ हाथी पर कविता 2 हाथी राजा कहाँ चले?सूँड हिलाकर कहाँ चले?हाथी राजा कहाँ चले?सूँड हिलाकर कहाँ चले? मेरे … Read more

नन्हे मुन्ने सैनिक हम

नन्हे मुन्ने सैनिक हम पी-पी पी-पी डर-डर-डम,नन्हे मुन्ने सैनिक हम।छोटी-सी है फौज हमारी,पर उसमें है ताकत भारी।बड़ी-बड़ी फौजें झुक जाती,जब ये अपना जोर दिखाती।पी-पी पी-पी डर-डर-डम,नन्हे-मुन्ने सैनिक हम।