रोटी / विनोद सिल्ला

रोटी / विनोद सिल्ला

रोटी सांसरिक सत्य तोयह है किरोटी होती हैअनाज कीलेकिन भारत में रोटीनहीं होती अनाज कीयहाँ होती हैअगड़ों की रोटीपिछड़ों की रोटीअछूतों की रोटीफलां की रोटीफलां की रोटीऔर हांयहाँ परनहीं खाई जातीएक-दूसरे की रोटी। -विनोद सिल्ला

शहीदों पर कविता

mahapurush

शहीदों पर कविता , उस व्यक्ति को हम शहीद कहते हैं. ऐसे व्यक्ति जो कि किसी भी लड़ाई में देश की सुरक्षा करते हुए या देश के नागरिकों की सुरक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान देते हैं. ऐसे व्यक्तियों को शहीद कहा जाता है. यह व्यक्ति पुलिस, जल सेना, वायु सेना, थल सेना, BSF, होम … Read more

विश्व पर्यावरण दिवस पर कविता

save nature

आज पर्यावरण पर संकट आ खड़ा हुआ है . इसकी सुरक्षा के प्रति जन जागरण के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र ने 5 मई को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का फैसला किया है . कविता बहार भी इसकी गंभीरता को बखूबी समझता है . हमने कवियों के इस पर लिखी कविता को संग्रह किया है .

ग़ज़ल -विनोद सिल्ला

ग़ज़ल -विनोद सिल्ला कैसी-कैसी हसरत पाले बैठे हैं।गिद्ध नजर जो हम पर डाले बैठे हैं।। इधर कमाने वाले खप-खप मरते हैं,पैसे वाले देखो ठाले बैठे हैं।। खून-पसीना खूब बहाते देखे जो,उनसे देखो छीन निवाले बैठे हैं।। नफरत करने वाले दोनों और रहे,कुछ मस्जिद तो बाकि शिवाले बैठे हैं।। खेत कमाते मिट्टी में मिट्टी होकर,सेठ बही … Read more

प्रेम पर कविता – विनोद सिल्ला

प्रेम पर कविता -विनोद सिल्ला गहरा सागर प्रेम का, लाओ गोते खूब।तैरोगे तो भी सही, निश्चित जाना डूब।। भीनी खुशबू प्रेम की, महकाए संसार। पैर जमीं पर कब लगें, करे प्रेम लाचार।। पावन धारा प्रेम की, बहे हृदय के बीच।मन निर्मल करके नहा,व्यर्थ करोमत कीच।। साज बजे जब प्रीत का, झंकृत मन के तार।रोम-रोम में … Read more