Tag #विनोद सिल्ला

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर 0 #विनोद सिल्ला के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

क्या होगा / विनोद सिल्ला

क्या होगा हाथ हाथ को काट रहा है क्या होगा।भाई भाई को बांट रहा है क्या होगा।। कटना बंटना रास रहा है उसको तो,एक एक को छांट रहा है क्या होगा।। शेर  बकरियां एक घाट कैसे पीएं,नाम शेर के घाट…

रोटी / विनोद सिल्ला

रोटी सांसरिक सत्य तोयह है किरोटी होती हैअनाज कीलेकिन भारत में रोटीनहीं होती अनाज कीयहाँ होती हैअगड़ों की रोटीपिछड़ों की रोटीअछूतों की रोटीफलां की रोटीफलां की रोटीऔर हांयहाँ परनहीं खाई जातीएक-दूसरे की रोटी। -विनोद सिल्ला Post Views: 34

mahapurush

शहीदों पर कविता

शहीदों पर कविता , उस व्यक्ति को हम शहीद कहते हैं. ऐसे व्यक्ति जो कि किसी भी लड़ाई में देश की सुरक्षा करते हुए या देश के नागरिकों की सुरक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान देते हैं. ऐसे व्यक्तियों को…

save nature

विश्व पर्यावरण दिवस पर कविता

आज पर्यावरण पर संकट आ खड़ा हुआ है . इसकी सुरक्षा के प्रति जन जागरण के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र ने 5 मई को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का फैसला किया है . कविता बहार भी इसकी गंभीरता को बखूबी समझता है . हमने कवियों के इस पर लिखी कविता को संग्रह किया है .

ग़ज़ल -विनोद सिल्ला

ग़ज़ल -विनोद सिल्ला कैसी-कैसी हसरत पाले बैठे हैं।गिद्ध नजर जो हम पर डाले बैठे हैं।। इधर कमाने वाले खप-खप मरते हैं,पैसे वाले देखो ठाले बैठे हैं।। खून-पसीना खूब बहाते देखे जो,उनसे देखो छीन निवाले बैठे हैं।। नफरत करने वाले दोनों…

प्रेम पर कविता – विनोद सिल्ला

प्रेम पर कविता -विनोद सिल्ला गहरा सागर प्रेम का, लाओ गोते खूब।तैरोगे तो भी सही, निश्चित जाना डूब।। भीनी खुशबू प्रेम की, महकाए संसार। पैर जमीं पर कब लगें, करे प्रेम लाचार।। पावन धारा प्रेम की, बहे हृदय के बीच।मन…

आम जन की हालात पर कविता – विनोद सिल्ला

खप-खप मरता आमजन खप-खप मरता आमजन, मौज उड़ाते सेठ।शीतकाल में ठिठुरता, बहे पसीना जेठ।। खून-पसीना बह रहा, कर्मठ करता कार।परजीवी का ही चला, लाखों का व्यापार।। कमा-कमा कर रह गया, मजदूरों का हाथ।पूंजी ने फिर भी किया, सेठों का ही…

नवनिर्माण पर कविता – विनोद सिल्ला

नवनिर्माण पर कविता पत्थरों और ईंटों मेंहुआ मुकाबलामची होड़एक-दूसरे कोमुंहतोड़ जवाब देने की पत्थर से ईंटईंट से पत्थर खूब टकराएटूटी ईंटेंक्षतिग्रस्त हुए पत्थर हो जाता मुकाबलादोनों मेंकौन करेगासुंदर नवनिर्माण तब मुकाबले के साथ-साथ हो जाती राह प्रशस्त नवनिर्माण की बन…

doha sangrah

संविधान दिवस को समर्पित दोहे

संविधान दिवस को समर्पित दोहे संविधान में लिख गए, तभी मिले अधिकार।बाबा साहब आप को, नमन करें शत बार।। संविधान ने ही दिया, मान और सम्मान।वरना तो हम थे सभी,खुशियों से अनजान।। संविधान से ही मिला, जीवन का अधिकार।वरना तो…

मैं हूँ मोहब्बत – विनोद सिल्ला

मोहब्बत मुझेखूब दबाया गयासूलियों परलटकाया गयामेरा कत्ल भीकराया गयामुझे खूब रौंदा गयाखूब कुचला गयामैं बाजारों में निलाम हुईगली-गली बदनाम हुईतख्तो-ताज भीखतरा मानते रहेरस्मो-रिवाज मुझसेठानते रहेजबकि में एकपावन अहसास हूँहर दिल केआस-पास हूँबंदगी काहसीं प्रयास हूँमैं हूँ मोहब्बतजीवन का पहलूखास हूँ।…