साइकिल से हो जाती ,पैसों की बचत। साइकिल से हो जाती , थोड़ी कसरत।
अनेक समस्याओं का है ,वो समाधान।
आज सायकिल बनी है , बड़ी जरूरत।
मोटापा बन जाता है,कई रोगों की खान।
सायकिल चलाके दूर करें, यह बीमारी।
अब सायकिल-यात्रा ,है बड़ी होशियारी।
मोटर,कार निकालती है, दिन रात जहर। संकट के बादल मंडराते,अब गांव शहर।
यूं तो धन-दौलत की कमी नहीं है हमको
तथापि,सायकिल से करनी होगी सफर।
समय से पहले आओ करलें पूरी तैयारी ।
अब सायकिल-यात्रा ,है बड़ी होशियारी।
(रचयिता :- मनी भाई भौंरादादर बसना )
रेखा मल्हान कृष्णा की कविता
साइकिल दिवस
अरे! क्या आप पर्यावरण दिवस मनाने जा रहे हो? यानि निज धरा को स्वच्छ-सुन्दर बनाने जा रहे हो, सर्वप्रथम प्रदूषण मुक्त निज धरा हमें बनानी होगी, तो बताओ प्यारे! क्या तुम साइकिल चला रहे हो?
साइकिल है शान की सवारी प्यारों , धन-दौलत और सेहत बचाती ये प्यारों, ना कोई पैसा खर्च, वायु को भी करे शुद्ध, धीरे -धीरे डीजल- पैट्रोल हो रहा खत्म प्यारों ।
धीरे -धीरे जब तुम अपने गंतव्य तक जाओगे, हाथ-पाँव भी तुम अपने मजबूत बनाओगे, दुर्घटना के खतरों से भी बचकर निकल जाएंगे, सुन्दर धरा सहित, स्वास्थ्य अपना भी पाओगे।
एयरकंडीशनर वाहन से तापमान धरा का बढ़ा रहे, नन्हें-नन्हें शिशुओं, व नव अंकुर भी तुम खो रहे, आज से ही तुम लेलो एक महा-प्रण प्यारों, धरा को बचाओ प्यारे , जिसकी सुन्दरता खो रहे।
साइकिल है सबसे प्यारी-न्यारी ये सवारी, जिसनें पूर्वजों की सेहत भी थी सँवारी, आओ मिलकर पूर्व-परंपरा का पालन करें, दोबारा अपनाएँ, साइकिल सवारी कृष्ण मुरारी।
जिंदगी हर बार आती नहीं , यादों में आकर तुम जाती नहीं । तुम ना कर जाना इंकार जो तुमसे हो गया है प्यार ।।
यादों में तेरे मैं हर पल छाया रहता । सोचकर मैं तुमको हरदम मुसकाया रहता। अब तो दिल हो गया बेकरार जो तुमसे हो गया प्यार ।
पूछो यह तुम मेरे सांसो से। सुनो ये तुम कहती है लबों से । जो बजती कहे तुम्हारी पायल की झंकार । जो तुमसे हो गया प्यार ।
अब तो दिल कहता है बार बार । जो मिल गया तुमसे यार । जुदा नहीं कर पाएंगे कोई । कुछ नहीं कर सकेगा हमको संसार । जो तुमसे हो गया प्यार । जो तुमसे हो गया प्यार ।
मेरे सांसों ने तेरे कानों में अपने दिल का पैगाम दिया । गुजरी तुझ पर क्या जानेमन ? क्या इसका अंजाम हुआ?
धोखा में ना रखना ,सनम तू मुझको । बरसों से चाहत है चाहे तू मेरे दिल को । खफा होने की बात क्या है ? ख्वाब तेरे हो तो जुदाई रात क्या है? यादों में तेरे रात दिन हुआ, दिन से फिर शाम हुआ।।
तारीफे ना करूं तो तुझ पर साजिश होगी । चाहता रहूं बस तुझको मेरी ख्वाहिश होगी । सांसो की सांसो से , सांसों में ऐतबार । नजरों की नजरों से , नजरों में इंतजार। दिन की मोती शाम की ज्योति को मैंने जान लिया।।