
छत्तीसगढ़ शासकीय भवनों के नाम
छत्तीसगढ़ शासकीय भवनों के नाम ये नाम छत्तीसगढ़ी हरे हैं ।है स्वाद मीठे रस से भरे हैं ।।जानो सभा आज विधान के हैं ।देवी ” मिनीमातु ” सियान से हैं ।। अध्यक्ष के धाम बने सियासी ।” संवेदना ” है…

हिंदी कविता संग्रह

हिंदी कविता संग्रह

छत्तीसगढ़ शासकीय भवनों के नाम ये नाम छत्तीसगढ़ी हरे हैं ।है स्वाद मीठे रस से भरे हैं ।।जानो सभा आज विधान के हैं ।देवी ” मिनीमातु ” सियान से हैं ।। अध्यक्ष के धाम बने सियासी ।” संवेदना ” है…

जलती धरती / भावना मोहन विधानी वृक्ष होते हैं धरती का सुंदर गहना,हरियाली के रूप में धरा ने इसे पहनाहरे भरे वृक्षों को काट दिया मनुष्य ने,मनुष्य की क्रूरता का क्या कहना?तेज गर्मी से जलती जा रही धरती,अंदर ही अंदर…

जलती धरती/चन्दा डांगी बचपन मे हमने देखीहर पहाड़ी हरी भरी नज़र आता नही पत्थर कोई वहाँकटते गये जब पेड़ धरती होने लगी नग्न सिलसिला ये चलता रहाअब पत्थर नज़र आतेपेड़ो का पता नहींलाते थे हम सामान कपड़े की थैलियों मे…

जलती धरती /हरि प्रकाश गुप्ता सरल धरती जलती है तो जलने दीजिए।पेड़ कटते हैं तो कटने दीजिए।।भले ही जल जाए सभी कुछ यहांपर पर्यावरण की न चिंता कीजिए।कुछ तो रहम करो भविष्य के बारे में अपने लिए न सही आगे…

जलती धरती/शिव शंकर पाण्डेय न आग के अंगार से न सूरज के ताप से।।धरा जल रही है, पाखंडियों के पाप से।।सृष्टि वृष्टि जल जीवन सूरज।नार नदी वन पर्वत सूरज।।सूरज आशा सूरज श्वांसा।सूर्य बिना सब खत्म तमाशा।सूर्य रश्मि से सिंचित भू…

धरती माता राजेश तिवारी धरती मेरी माँ है इसको स्वस्थ और स्वच्छ बनायें ।आओ इसकी रक्षा और सुरक्षा का दायित्व उठायें ।।………………………………………………………. अवैध और अनैतिकता से इसका खनन जो करते ।सोचो इसको दिये घाव जो कहो वो कैसे भरते…

जलती धरती/नीरज अग्रवाल पर्यावरण और वन उपवन हैं।जल थल जंगल हमारे जीवन हैं।जलती धरती बढ़ता तापमान हैं।मानव जीवन में आज संकट हैं।हम सभी को सहयोग जो करना हैं।जलती धरती तपता सूरज कहता हैं।वसुंधरा को हरा भरा हमको करना हैं।मानव जीवन…

जलती धरती/नीरज अग्रवाल सच तो यही जिंदगी कुदरत हैं।जलती धरती आकाश गगन हैं।हम सभी की सोच समझ हैं।हां जलती धरती सूरज संग हैं।खेल हमारे मन भावों में रहते हैं।जलती धरतीं मानव जीवन हैं।हमारे मन भावों में प्रकृति बसी हैं।सच और…

जलती धरती/ रितु झा वत्स विशुद्ध वातावारण हर ओरमची त्रास जलती धरती धूमिल आकाश पेड़ पौधे की क्षति होरही दिन रात धरती की तपिश कर रही पुकार ना जानेकब बरसेगी शीतल बयार प्लास्टिक की उपयोग हो रही लगातार दूषित हो रही…

ईश्वर की दी धरोहर हम जला रहे हैं/मनोज कुमार ईश्वर की दी हुई धरोहर हम जला रहे हैंलगा के आग पर्यावरण दूषित कर रहे हैंकाटे जा रहे हैं पेड़ जंगलों के,सुखा के इन्सान खुश हो रहा हैआते – जाते मौसम…