Category विविध छंदबद्ध काव्य

गुरूपूर्णिमा विशेष दोहे

गुरूपूर्णिमा विशेष दोहे करूँ नमन गुरुदेव को,जिनसे मिलता ज्ञान।सिर पर आशीर्वाद का,सदा दीजिए दान।।१।।*****हरि गुरु भेद न मानिए,दोनों एक समान।कुछ गुरु हैं घंटाल भी,कर लेना पहचान।।२।।*****प्रथम गुरू माता सुनो,दूजे जो दें ज्ञान।तीजे दीक्षा देत जो,जग गुरु सीख सुजान।।३।।*****ज्ञान गुरू देकर…

स्वामी विवेकानंद

युवा वर्ग आगे बढ़ें

युवा वर्ग आगे बढ़ें छन्द – मनहरण घनाक्षरी युवा वर्ग आगे बढ़ें,उन्नति की सीढ़ी चढ़ें,नूतन समाज गढ़ें,एकता बनाइये। नूतन विचार लिए,कर्तव्यों का भार लिए,श्रम अंगीकार किए,कदम बढ़ाइए। आँधियाँ हैं सीमा पार,काँधे पे है देश भार,राष्ट्र का करें उद्धार,वक्त पहचानिए। बहकावे…

हिन्दी कुण्डलियाँ: ऊर्जा संरक्षण

हिन्दी कुण्डलियाँ: ऊर्जा संरक्षण (1)ऊर्जा सदा बचाइये,सीमित यह भंडार।धरती का वरदान है,जग विकासआधार। जग विकास आधार ,समझ कर इसे खरचना।बढ़े नहीं यह और ,सोचकर सभी बरतना। गीता सुन यह बात,चले सब दिन कल-पुर्जा।होगा संभव तभी,रहे जब रक्षित ऊर्जा।। (2)सूरज ऊर्जा…

हिन्दी कुंडलिया: घायल विषय

हिन्दी कुंडलिया: घायल विषय घायल रिपु रण में मिले , शरणार्थी है जान ।प्राण बचाने शत्रु का, नीर कराओ पान।नीर कराओ पान, सीख मानवता लेकर।भेदभाव को त्याग, प्रेम का परिचय देकर।कहे पर्वणी दीन, शत्रु फिर होंगे कायल ।समर भूमि में…

mahatma gandhi

हिन्दी दोहा मुक्तक : अहिंसा विषय

हिन्दी दोहा मुक्तक : अहिंसा विषय देख देश की दुर्दशा,गाँधी छेड़े युद्ध ।सत्य अहिंसा मार्ग से, बनकर योगी बुद्ध।आंदोलन की राह में, सत्य बना आधार।मार खदेड़े शत्रु को, होकर भारी क्रुद्ध।। छोड़ें हिंसा राह को, चलें अहिंसा राह ।खून खराबा…

हिन्दी कुंडलियां : सरगम विषय

हिन्दी कुंडलियां : सरगम विषय सरगम है जानो सदा, सप्तसुरों का साज।पाकर स्वर संगीत को , मिले नयी परवाज ।मिले नयी परवाज, साधना सप्त सुरों में।करें शारदा वास, हमारे ही अधरों में ।कहे पर्वणी दीन, बने स्वर नाद विहंगम ।अद्भुत…

धरती तुझे प्रणाम

धरती तुझे प्रणाम माथ नवाकर नित करूँ , धरती तुझे प्रणाम ।जीव जंतु का भूमि ही , होता पावन धाम ।। खेले कूदे गोद में , सबकी माँ हो आप ।दुष्ट मनुज को भी सदा , देती ममता थाप ।।…

दीवारे खिंचने लगी भाई भाई बीच

दीवारे खिंचने लगी भाई भाई बीच दीवारे खिंचने लगी,भाई भाई बीच।रहा प्रेम अब है कहाॅ,काम करे सब नीच।। खींचो मत दीवार अब,रहने दो कुछ प्यार।सभी यही रह जायगा,खुशियाँ मिले अपार।। भित्ति गिरा दो घृणा की,बांट सभी को प्यार ।दो दिन…