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आगे हरेली तिहार – रविन्द्र दुबे बाबू

छत्तीसगाढ़ी रचना
छत्तीसगाढ़ी रचना

आगे हरेली तिहार

झूम झूम के सावन आगे,
बादर करिया अमावस म
मजा उडाबो,माटी मतियाबो,
हरेली पहली तिहारी हे ।।

बिहन ले गाँव के टुरा जुड़ गे ,
नरियर फेकेन जम के,
गेड़ी खपायेन टेंग टेंग रेंगेन,
झूमत संग संगवारी हे ।।

नागर फांद के चीला खवाइश,
भूति करे बनिहारिन
छत्तीसगढ़ म हरियाली छाए,
खेत खार आउ बारी हे ।।

गैती, कलारी, हसिया धोवन,
बइला तको चमके जी
देवता पुजेव लीम दर संग,
आज टोनही के तैयारी हे ।।

प्रकृति से जेहर प्रेम सिखाये,
ऐसे मनखे छत्तीसगरीहा जी
परंपरा ल झन भूलो सब,
कष्ट सहे छत्तीसगढ़ महतारी हे ।।


रविन्द्र दुबे “बाबू”
कोरबा ,छत्तीसगढ़

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