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कविता
- गांँधीजी का ज्ञान
- बिटिया के मुखड़े पर धवल मुस्कान
- आज बेटी किसी की बहू
- माँ पर कविता हिंदी में
- विश्व पृथ्वी दिवस / देवेन्द्र चरन खरे आलोक
- महान जननायक / अकिल खान.
- श्रीरामनवमी पर कविता
- 13 अप्रैल जलियांवाला बाग नरसंहार दिवस पर हिंदी कविता
- बस कर भगवन / शिवराज सिंह चौहान
- विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर एक कविता
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गेय कविता
स्वर, पद और ताल से युक्त जो गान होता है वह गीत कहलाता है। गीत, सहित्य की एक लोकप्रिय विधा है। इसमें एक मुखड़ा तथा कुछ अंतरे होते हैं। प्रत्येक अंतरे के बाद मुखड़े को दोहराया जाता है। गीत को गाया जाता है।
An anthem consisting of voice, verse and rhythm is called a song.The song is a popular genre of Bhagya. It has a mouth and a few nerves. The mouth is repeated after each interval. The song is sung.
हे गणपति सुनले विनती -गणेश वंदना गीत
गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति…
केवरा यदु मीरा की कविता
केवरा यदु मीरा की कविता कृष्ण के भजनओ मेरे मन मीतकृष्ण के भजनसुन कान्हा मेरी यादतुमको आती तो होगी।ओ पूनम…
श्री नाथ की स्तुति – डॉ मनोरमा चंद्रा रमा
यहां पर कवियत्री डॉ मनोरमा चंद्रा रमा द्वारा रचित कविता श्रीनाथ की स्तुति आपके समक्ष प्रस्तुत हैश्री नाथ की…
शिवरात्रि पर कविता
शिव पर कविताशिवरात्रि पर कविताशिव को ध्याने के लिए लो आ गई रात्रि।मौका मिला है शिव की करने को…
शिव महिमा कविता
शिव पर कविताशिव महिमा कविताशिव शिवा शिव शिवा शिव शिवा ।शिव शव हैं......शिवा के सिवा।शिव अपूर्ण…
राम नारायण हरि-अनिल कुमार गुप्ता अंजुम
राम नारायण हरिराम नारायण हरि, श्री कृष्ण नारायण हरिशिव नारायण हरि, गोविंद नारायण हरिमातृ नारायण हरि,…
महाशिवरात्रि पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना
महाशिवरात्रि पर कविता - उपमेंद्र सक्सेनाबने आप भोले जहर पी लिया सब, लगें आप हमको सब से ही न्यारेनिवेदन करें हम…
वागेश्वरी वंदना
वागेश्वरी वंदना
माँ वीणावादिनी , मां बुद्धिदायिनी
तव महिमा है अपरंपार
कर माते तू लोकाद्धार
तव ममता से जग आलोकित…
बसंत पंचमी पर गीत – सुशी सक्सेना
मेरे मन का बसंतबसंत ऋतु का, यहां हर कोई दिवाना है।क्या करें कि ये मौसम ही बड़ा सुहाना है।हर जुबां पर होती है, बसंत…
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
हँसवाहिनी माँ की जय जय
वीणावादिनी जय हो
शुभ्रज्योत्स्ना भरो हृदयमें
अन्धकार सब क्षय हो
पद्मासना श्वेत…