संसद ल सड़क म लगा के तो देख
गुरुजी कस पारा म पढ़ा के तो देख,
अरे ! संसद ल सड़क म लगा के तो देख।
गिंजरथे गुरु ह गली म पुस्तक ल धर के,
बटोरे हे लईकन ल मास्टर गाँव भर के।
जनता के हक ल बगरा के तो देख।
गुरुजी कस पारा म पढ़ा के तो देख,
अरे ! संसद ल सड़क म लगा के तो देख।
हमला भरोसा हे किसान अउ नागर म,
माथा गंगा बोहावथे मंगलू के जांगर म।
तर जाही चोला पसीना म नहा के तो देख।
गुरुजी कस पारा म पढ़ा के तो देख,
अरे ! संसद ल सड़क म लगा के तो देख।
बक नई फूटै अब तो मुँह म तोपना हे,
दुश्मन ल देश के बाडर म रोकना हे।
पहिली करोना के भूत ल भगा के तो देख।
गुरुजी कस पारा म पढ़ा के तो देख,
अरे ! संसद ल सड़क म लगा के तो देख।
लंका ह चमकत हे पूछी ह जरगे,
मँहगी के आगी म भूख ह मरगे।
साग भाजी हरियर मँगा के तो देख।
गुरुजी कस पारा म पढ़ा के तो देख,
अरे ! संसद ल सड़क म लगा के तो देख।
भासन म देश के रोजगार जगाना हे।
बूता कोनो माँगे तव घंटी बजाना हे।
अपन घर म खिलौना बनाके तो देख।
गुरुजी कस पारा म पढ़ा के तो देख।
अरे ! संसद ल सड़क म लगा के तो देख।
अनिल कुमार वर्मा