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मंज़िल पर कविता
मंज़िल पर कविता सूर्य की मंज़िल अस्ताचल तक,तारों की मंज़िल सूर्योदय तक।नदियों की मंज़िल समुद्र तक,पक्षी की…
उपवन की कचनार कली है
उपवन की कचनार कली हैउपवन की कचनार कली है ।घर भर में रसधार ढ़ली है ।।यह दुहिता जग भार…
फागुन में पलाश है रंगों भरी दवात
फागुन में पलाश है रंगों भरी दवातफागुन में पलाश है, रंगों भरी दवात ।रंग गुलाबी हो गया, इन रंगों के साथ…
फागुन आ गया
फागुन आ गयाहर्षोल्लास था गुमशुदादौर तलाश का आ गया।गुम हुई खुशियों को लेकरफिर से फागुन आ…
बासंती फागुन
बासंती फागुनओ बसंत की चपल हवाओं,फागुन का सत्कार करो।शिथिल पड़े मानव मन मेंफुर्ती का संचार करो।1बीत…
हसरतों को गले से लगाते रहे
हसरतों को गले से लगाते रहेहसरतों को गले से लगाते रहे,थोड़ा थोड़ा सही पास आते रहे..आप की बेबसी का पता है हमें,चुप…
कैसे जुगनू पकड़ूं?
कैसे जुगनू पकड़ूं?पाँव महावर ,हाथों में मेहँदीकलाई में कँगना दिये सँवार ।माथे बिंदिया माँग में…
किस मंजिल की ओर ?
किस मंजिल की ओर ?क्यारी सूख रही है निरंतर..आग जल रही हैं हर कहीं..घर हो या पास पडौ़स ..विश्वास की डोर नहीं…
सिर पर है चुनाव
सिर पर है चुनावबीच बवंडर गोते खाती, फंस गई जैसे नाकुछ ऐसा माहौल बना है, सिर पर है चुनावउबड़ खाबड़ गड्ढे वाले, अब…