शबरी पर कविता/ सौदामिनी खरे दामिनी

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शबरी पर कविता/ सौदामिनी खरे दामिनी शबरी सी भक्ति मिले,जीवन सुगम चले,प्रभु के आशीष तले,होवे नवल विहान। यह भीलनी साधना,रही निष्काम भावना,कठिनाई से सामना,गुरु वचनों को मान। लोभ मोह छोड़कर,भक्ति भाव जोड़ कर,राम नाम बोल कर,लगाया प्रभु से ध्यान। मीठे बेरों को तोड़ती,वो कुटिया बुहारती,फूल राहों में डालती,ढलता है अवशान।।

पितृ पक्ष पर कविता 2021 -राजेश पान्डेय वत्स (मनहरण घनाक्षरी)

हम यहाँ पर आपको पितृ पक्ष पर कविता प्रस्तुत कर रहे हैं आशा है आपको यह पसंद आएगी .

भारत माँ के सपूत

भारत माँ के सपूत – घनाक्षरी चाहे ठंड का कहरआधी रात का पहरतिलभर न हिलते,खड़े , सीना तान के। डरते न तूफान सेडटे हैं बड़ी शान सेभूख ,प्यास ,नींद छोड़,रखवारे मान के। समर्पित हैं देश कोमातृ -भू जगदीश कोतन, मन ,धन सब,सुर -लय गान के। लगे सब देव दूतभारत माँ के सपूतबचाये त्रासदी से वो,निज … Read more

माँ शारदे पर कविता

माँ शारदे पर कविता (देव घनाक्षरी) नमन मात शारदेअज्ञानता से तार देकरुणा की धार बहामुख में दो ज्ञान कवल।। वीणा पुस्तकधारिणीभारती ब्रह्मचारिणीशब्दों में शक्ति भरदोवाणी में दो शब्द नवल।। हंस की सवारी करेतमस अज्ञान हरेरोशन जहान करेपहने माँं वस्त्र धवल।। अज्ञानी है माता हमकरिए दोषों को शमज्ञान का दान कर दोबढ़ जाएगा बुद्धि बल।। ✍️ … Read more