नवाजिश नवाजिश
नवाजिश नवाजिश तू जो मिली होने लगी ,जीने की ख्वाहिश ।आई मेरे जीवन में तू , रब की नुमाइश।नवाजिश नवाजिश बस रब की नवाजिश। मुझको अपनी पनाह में ले ले ।सुन ले मेरी इल्तजा।कुछ ना भाये तेरे सिवा कैसा वक्त…
मनीभाई नवरत्न
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर ० मनीभाई नवरत्न के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
नवाजिश नवाजिश तू जो मिली होने लगी ,जीने की ख्वाहिश ।आई मेरे जीवन में तू , रब की नुमाइश।नवाजिश नवाजिश बस रब की नवाजिश। मुझको अपनी पनाह में ले ले ।सुन ले मेरी इल्तजा।कुछ ना भाये तेरे सिवा कैसा वक्त…
सायकिल दिवस कविता (Poem on World Cycle Day) मनीभाई की कविता अपने बचपन में , की थी जिससे यारी। वो मेरी सायकिल,जिसमें करूँ सवारी । आज बदहाल पड़ा, कहीं किसी कोने में सेवा कर गुजारी, जिसने जिंदगी सारी। ना वो…
जो तुमसे हो गया है प्यार जिंदगी हर बार आती नहीं ,यादों में आकर तुम जाती नहीं ।तुम ना कर जाना इंकारजो तुमसे हो गया है प्यार ।। यादों में तेरे मैं हर पल छाया रहता ।सोचकर मैं तुमको हरदम…
मेरे सांसों ने तेरे कानों में मेरे सांसों ने तेरे कानों मेंअपने दिल का पैगाम दिया ।गुजरी तुझ पर क्या जानेमन ?क्या इसका अंजाम हुआ? धोखा में ना रखना ,सनम तू मुझको ।बरसों से चाहत है चाहे तू मेरे दिल…
तेरे लिए करूं दुआ हर पल सदा तेरे लिए करूं दुआ, हर पल सदा ,तुझे ना पता।देखकर अनदेखा, ना कर जाने जा और ना सता। ख्वाबों की लकीर, पर बनती है तेरी तस्वीर ।छूना चाहूं, छू ना पाऊं हाथों में…
love is silly thing You are my love . you are my lifebut I never sayyou are my soulTarget & goal.I feel all the time happy and gay .from you I do.every work in the time .look at my face…
सलाम हुजूर तुझे मेरा सलाम तेरी जुल्फों की छैयां तले है अपना मकान ।तेरे आशिकों के बही खाते में है अपना नाम ।सलाम हुजूर तुझे मेरा सलाम सुने हैं मेरे कानों में तेरे अदाओं के चर्चेबटे हैं जगह जगह तेरे…
इस फूल में कांटा है ,सौदा ए दिल घाटा है ।बाहर से रौनक लगेअंदर से सन्नाटा है।।चुमना चाहो इन्हें , तो ये चुभेेंगे।हर बात पे तुम्हें , ये तौलेंगे ।इनके तेवर है लंबे …..हम भले ही नाटा हैं।सौदा ना कर…
प्रेरणादायक कविता - तू यूं ना थम
(बिहाव के सम्मे म फूफा के अलगेच रउब रईथे। काबरकि ओहर तईहा के भांटो मतलब "सियान के भांटो" रईथे।
अऊ ओकर सियानी के दिन काल भागत रईथे। तेकर जगह म मोर भांटो के पदवी आत रईथे । ओला ओहर सहन नई करन सके।
तिकर पाय बर ए कविता ल प्रयास करे गय हे:-)