
राह निहारूं माई- सन्त राम सलाम
यहाँ मान पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। राह निहारूं माई –…
यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है।
यहाँ मान पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। राह निहारूं माई –…
यहाँ माँ पर कविता हिंदी में लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। माँ मुझको गर्भ…
माँ मै आ गया हूँ /कमल कुमार सिंह माँ अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी हैना सुन सकती है न बोल सकती है देख कर भी कुछ कह नही सकती काले अंधेर दुनिया मे गुम हो चुकी हैउम्मीद की किरण अब…
मां का स्पर्श -सुशी सक्सेना न दवा काम आई, और न दुआ काम आईजब भी जरूरत पड़ी तो, मां काम आईमां का स्पर्श होता है, एक दवा की तरहजिसके मिलते ही मिट जाते हैं सारे ज़ख्ममां का स्पर्श होता है,…
यहां पर माधुरी डर सेना द्वारा माँ पर बेहतरीन ग़ज़ल लिखा गया है।यहाँ मान पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को…
माँ शारदे की कृपा अज्ञानता का नाश हो ज्ञान का दीप जले माँ शारदे की कृपा हो जाए सफलता तब गले मिले। निकाल लाता ज्ञान के मोती उच्च हो जाती ज्ञान की ज्योति माँ शारदे की कृपा जो होती अब…
माँ शारदे पर कविता (देव घनाक्षरी) नमन मात शारदेअज्ञानता से तार देकरुणा की धार बहामुख में दो ज्ञान कवल।। वीणा पुस्तकधारिणीभारती ब्रह्मचारिणीशब्दों में शक्ति भरदोवाणी में दो शब्द नवल।। हंस की सवारी करेतमस अज्ञान हरेरोशन जहान करेपहने माँं वस्त्र धवल।।…
दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवी, शक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। माँ दुर्गा पर कविता -बाबुराम सिंह…
मां पर बाल कविता अम्माँ करती कितना काम।चाहे सुबह हो चाहे शाम ॥कुछ न कुछ करती ही रहती।सारे घर का बोझा सहती ॥नहीं उसे मिलता आराम।अम्माँ करती कितना काम ॥हम भी थाड़ा काम करेंगे।अम्मा जी की मदद करेंगे।तब होंगे सब…
प्रस्तुत कविता मां दुर्गा के विविध रूप को आधार बनाकर लिखी गई है। जिसे चारूमित्रा ने लिखी है।