बसंत बहार
बसंत बहार शरद फुहार जाने लगीबसंती बहार आने लगी !कोयल की कूक गुंजे चहुँ ओरधीरे – धीरे धूप तेज कदम नेंबाग में आम बौराने लगी! शाम ढ़ले चहचहाते पक्षियोंघोसला को लौटने झुंड में,पेड़ों को पत्ते पीला होकरएक – एक कर झड़ने लगी!खेत खलिहान मे पुआलगाय बकरी सुबह शाम तकनिश्चिंत हो चरने लगी! आया बसंत बहारलाया … Read more