Tag #तेरस कैवर्त्य

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०तेरस कैवर्त्य के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

बसंत बहार

बसंत बहार शरद फुहार जाने लगीबसंती बहार आने लगी !कोयल की कूक गुंजे चहुँ ओरधीरे – धीरे धूप तेज कदम नेंबाग में आम बौराने लगी! शाम ढ़ले चहचहाते पक्षियोंघोसला को लौटने झुंड में,पेड़ों को पत्ते पीला होकरएक – एक कर…

भारत का लाज बन जायें

भारत का लाज बन जायें भारत का लाज बन जायें।मुल्क की नाज बन जायें।युग – युग अमर कहानेभारत का लाल बन जायें। प्रण करें करबद्ध चित,नित प्रतिदिन करते नमन।सदैव ही मेरे वतन का,इस धरा पर मैं लूँ जनम। प्रेम के…

छत्तीसगढ़ी गीत – तेरस कैवर्त्य

छत्तीसगढ़ी गीत – झिन रोबे दाई मोर झिन रोबे दाई मोर झिन रोबे बाई मोर।रात दिन गुनत तंय ह झिन रोबे न ss अकेला ही जाहूँ , कोनो नइ जावय संग म। झुलत रही मुहरन , तोर नजरे नजर म।भुइंया…

happy new Year

नववर्ष पर हिंदी कविता

इस वर्ष नववर्ष पर कविता बहार द्वारा निम्न हिंदी कविता संकलित की गयी हैं आपको कौन सा अच्छा लगा कमेंट कर जरुर बताएं नववर्ष पर हिंदी कविता : महदीप जँघेल निशिदिन सुख शांति की उषा हो,न शत्रुता, न ही हो…

village based Poem

गांव पर दोहे

गांव पर दोहे शहर नगर में विष घुले, करे जोर की शोर।शुद्ध हवा बहने लगी, चलो गांव की ओर।।१।। तेज गमन की होड़ में, उड़े बड़े ही धूल।मुक्त रहो इस खेल से, बात नही तुम भूल।।२।। शांत छांव में मन…

त्यौहार पर कविता-तेरस कैवर्त्य ‘आंसू’

त्यौहार पर कविता आया कार्तिक मास अब, साफ करें घर द्वार।रंग बिरंगे लग रहे, आया है त्यौहार।।१।। गली गली में धूम है , जलती दीप कतार।सभी मनाये साथ में, दीवाली त्यौहार।।२।। श्रद्धा सुमन चढ़ा करें, पूजे लक्ष्मी मान।मेवा घर घर…

सरस्वती दाई तोर पइयां लागव ओ

सरस्वती दाई तोर पइयां लागव ओ ~~~~सरस्वती दाई तोर पइयां लागव ओ।कंठ में बिराजे जेकर भाग जागय ओ।तोरे आसरा म नान्हे लइका पढ़ जाथे।बुद्धि पाके ज्ञानी कलाकार बन जाथे।मन ल भरमा के तंय,धार ल ठहरा के तंय।डहके डुबत नइयां लागय…

doha sangrah

तेरस के दोहे

तेरस के दोहे आयें है संसार मे, करो नेक सब काम।यहीं कर्म का फल मिले, स्वर्ग नरक की धाम।। यत्न सदा करते रहो, मान नही तुम हार।हाथ सफल लगते गले, होत न श्रम बेकार।। बरफ जमी है यूँ जमी, ठिठुर…