रोशनी पर कविता -रूपेश कुमार
रोशनी पर कविता प्यार का दीपक ज़लाओ इस अंधेरे मे ,रुप का जलवा दिखाओ इस अंधेरे मे ,दिलो का मिलना दिवाली का ये पैगाम ,दुरिया दिल का मीटाओ इस अंधेरे मे ! अजननी है भटक न ज़ाए कही मंजिल ,रास्ता…
रोशनी पर कविता प्यार का दीपक ज़लाओ इस अंधेरे मे ,रुप का जलवा दिखाओ इस अंधेरे मे ,दिलो का मिलना दिवाली का ये पैगाम ,दुरिया दिल का मीटाओ इस अंधेरे मे ! अजननी है भटक न ज़ाए कही मंजिल ,रास्ता…
प्रकाश पर कविता मन के अंध तिमिर में क्याप्रकाश को उद्दीपन की आवश्यकता है? नहीं!! क्योंकि आत्म ज्योति काप्रकाश ही सारे अंधकार को हर लेगाआवश्यकता है, तो बस अंधकार को जन्म देने वाले कारक को हटाने कीउस मानसिक विकृत कालेपन को हटाने कीजो अंधकार…
धनतेरस के दोहे (Dhanteras Dohe) धनतेरस का पुण्य दिन, जग में बड़ा अनूप।रत्न चतुर्दश थे मिले, वैभव के प्रतिरूप।। आज दिवस धनवंतरी, लाए अमृत साथ।रोग विपद को टालते, सर पे जिसके हाथ।। देव दनुज सागर मथे, बना वासुकी डोर।मँदराचल थामे…
खुशियों के दीप असंभावनाओ में संभावना की तलाश करआओ एक नया आयाम स्थापित करें।मिलाकर एक दूसरे के कदम से कदमआओ हम मिलकर खुशियों के दीप जलाये।। निराशाओं के भवंर में डूबी कश्ती में फिर से उमंग व आशा की रोशनी करे…
कविता का बाजार अब लगता है लग रहा,कविता का बाजार।और कदाचित हो रहा,इसका भी व्यापार।। मानव में गुण-दोष का,स्वाभाविक है धर्म।लिखने-पढ़ने से अधिक,खुलता है यह मर्म।। हमको करना चाहिए,सच का नित सम्मान।दोष बताकर हित करें,परिमार्जित हो ज्ञान।। कोई भी ऐसा…
जिंदगी के सफर पर कविता ज़िंदगी का सफ़र है मृत्यु तक।तुम साथ दो तो हर शै मयख़ाना हो ! हर रोज.. है एक नया पन्ना।हर पन्ने में, तेरा फ़साना हो !! यहाँ हर पल बदलते किस्से हैं हर किस्से का अलग…
स्त्री एक दीप स्त्री बदलती रहीससुराल के लिएसमाज के लिएनए परिवेश मेंरीति-रिवाजों मेंढलती रही……स्त्री बदलती रही! सास-श्वसुर के लिए,देवर-ननद के लिए,नाते-रिश्तेदारों के लिएपति की आदतों को न बदल सकीखुद को बदलती रही! इतनी बदल गयी किखुद को भूल गयी!फिरभी किन्तु…
पर्यावरण पर कविता पर्यावरण खराब हुआ, यह नहिं संयोग।मानव का खुद का ही है, निर्मित ये रोग।। अंधाधुंध विकास नहीं, आया है रास।शुद्ध हवा, जल का इससे, होय रहा ह्रास।। यंत्र-धूम्र विकराल हुआ, छाया चहुँ ओर।बढ़ते जाते वाहन का, फैल…
सूरज पर कविता लो हुआ अवतरित सूरज फिर क्षितिज मुस्का रहा।गीत जीवन का हृदय से विश्व मानो गा रहा।। खोल ली हैं खिड़कियाँ,मन की जिन्होंने जागकर, नव-किरण-उपहार उनके पास स्वर्णिम आ रहा। खिल रहे हैं फूल शुभ,सद्भावना के बाग में,और जिसने…
तन पर कविता हर मशीन का कलपुर्जा,मिल जाए तुम्हे बाजार में।नहीं मिलते हैं तन के पुर्जे,हो चाहे उच्च व्यापार में। नकारात्मक सोचे इंसा तो, सिर भारी हो जाएगा।उपकरणों की किरणों से , चश्माधारी हो जाएगा।जीभ के स्वादों के चक्कर में,न डालो पेनक्रियाज…