बेटी पर कविता – सुशी सक्सेना
बेटी पर कविता – सुशी सक्सेना मेरी बिटिया, मेरे घर की शान है।मेरे जीने का मकसद, मेरी जान है। पता ही न चला, कब बड़ी हो गई,मेरी बिटिया अपने पैरों पे खड़ी हो गई,मेरे लिए अब भी वो एक नन्हीं कली है,मेरे अंगना कि एक चिड़िया नादान है। या रब, हर बुरी नजर से उसे … Read more