Author: कविता बहार

  • क्यूँ झूठा प्यार दिखाते हो

    क्यूँ झूठा प्यार दिखाते हो

    hindi gajal
    HINDI KAVITA || हिंदी कविता

    क्यूँ  झूठा  प्यार  दिखाते  हो ….
    दिल  रह  रह  कर  तड़पाते  हो ..

    गैरों  से  हंसकर  मिलते  हो
    बस  हम  से  ही  इतराते  हो

    घायल  करते  हो  जलवों  से …
    नज़रों  के  तीर  चलाते  हो …

    जब  प्यार  नहीं  इज़हार  नहीं …
    फिर  हम  को  क्यूँ  अज़माते  हो ..

    आ  जाओ हमारी  बांहों  में …
    इतना  भी  क्यूँ  घबराते  हो …

    हम  आपके  हैं  कोई  गैर नहीं …
    फिर  क्यूँ  हम  से  शर्माते  हो …

    जब  फर्क  तुम्हे  पड़ता  ही  नहीं
    क्यूँ  आते  हो  फिर  जाते  हो

    दुनिया  की  नज़र  में  क्यूँ  हमको ..
    अपना  कातिल  बतलाते  हो ..

    तिरछी  नज़रों  से  देख  मुझे …
    क्यूँ  मन  ही  मन  मुस्काते  हो ..

    मुझको  है  भरोसा  बस  तुम  पर …
    क्यूँ  झूठी  कसमें  खाते  हो ..

    आते  जाते  क्यूँ  मुझ  पर  तुम
    भँवरा  बन  के  मन्डराते हो

    करके  महसूस  फिज़ाओं  में
    खुशबू  कह  मुझे  बुलाते  हो

    जब  प्यार  हुआ  है  तुम  को  भी ..
    ‘चाहत’  से  क्यूँ  कतराते  हो …

    नेहा चाचरा बहल ‘चाहत’
    झाँसी

  • भारत का लाज बन जायें

    भारत का लाज बन जायें

    भारत का लाज बन जायें।
    मुल्क की नाज बन जायें।
    युग – युग अमर कहाने
    भारत का लाल बन जायें।

    प्रण करें करबद्ध चित,
    नित प्रतिदिन करते नमन।
    सदैव ही मेरे वतन का,
    इस धरा पर मैं लूँ जनम।

    प्रेम के हम राग बन जायें।
    मुल्क की नाज बन जायें।

    रक्षक बन तत्पर भीड़ पड़े,
    शत्रु के जब बढ़ते कदम।
    आँच ना आये दामन पर,
    लड़कर करें उनका पतन।

    आँधी से तूफान बन जायें।
    मुल्क की नाज बन जायें।

    एकता की बल मिसाल दें,
    ना टिकेंगे उनके क्रुर दमन।
    भय से जीन से बेहतर है,
    शहीदी की ओढ़ ले कफन।

    जाँबाज इंकलाब बन जायें।
    मुल्क की ताज बन जायें।

    ना उजड़े मोहक दृश्य जमी,
    अपने माँ है अनमोल रतन।
    यह धूल माथे तिलक सजे,
    प्राणों से  हम करें जतन।

    तलवार और ढ़ाल बन जायें।
    दुश्मन पर काल बन जायें।

    झूकना हमें मंजूर नही है,
    भले कफन मे जायें दफन।
    होंगे कामयाब वीर सिपाही,
    क्योंकि है यह मेरा वतन।

    गौरव का ताज बन जायें।
    मुल्क की आवाज बन जायें।
    युग – युग अमर कहाने,
    भारत का लाल बन जायें।

    तेरस कैवर्त्य (आँसू)
    (शिक्षक)
    सोनाडुला, (बिलाईगढ़)
    जिला – बलौदाबाजार (छ.ग.)

  • फरियादी हो (बेटी पर कविता)

    फरियादी हो (बेटी पर कविता)

    आज कोख की बेटी ही,
    अब पूछे बन फरियादी हो।

    बिना दोष क्यों बना दिया है,
    मुझको ही अपराधी हो।

    ईश विधान जन्म मेरा फिर,
    तुम क्यों पाप कमाते हो।
    सुख दुःख का अनुमान लगा,
    हत्यारे बन जाते हो।
    आज कोख……।

    घर बगिया की  कोमल कलिका , 
    मुझसे ही घर शोभित हो।
    अँगना में किलकारी मेरी,
    रिमझिम ध्वनि पग नूपुर हो।
    आज कोख……।

    भ्रम पाला है मात- पिता ने,
    पुत्र जन्म सुखदायी हो ।
    भूल गये कर्तव्य इसी में,

    कन्या मान परायी हो।
    आज कोख…….।

    कन्या- पुत्र आज के ही हैं,
    भावी नर अरु नारी हो।
    भुवन संतुलन बिगड़ रहा है,
    बढी समस्या भारी हो।
    आज कोख की बेटी ही अब,
    पूछे बन फरियादी हो।

    पुष्पा शर्मा”कुसुम”

  • लबों पे है तेरा नाम

    लबों पे है तेरा नाम

    लब  पे नाम  तेरा
    सुमिरूँ मैं सुबह शाम

    मोहन  मेरे  श्याम ।

    आँखों  में तुम बसे हो
    साँसों की माला  में
    ओ मोहन  बस
    तेरा ही  नाम ।

    तुम जगत  नियंता
    भक्तों को प्यारे ।
    हे गोविन्द  मेरे
    यसुदा के  हो दुलारे ।

    मैने  रचाई मेंहदी
    मोहना  तेरे  नाम ।

    लबों पे है तेरा  नाम ।

    केवरा यदु “मीरा “

  • जीवन उथल पुथल कर देगा

    जीवन उथल पुथल कर देगा

    पल भर का सम्पूर्ण समागम ,
    जीवन उथल पुथल कर देगा।
    तुम चाहे जितना समझाओ,
    पर यह भाव विकल कर देगा।


    1.
    आँखो  में  आँखो  की भाषा ,
    लिखना पढ़ना रोज जरा सा।
    सपनों  का   सतरंगी    होना,
    देख चाँद सुध बुध का खोना।
    थी अब तक जो बंद  पंखुडी,
    उसको फूल कवल कर देगा।
    तुम चाहे जितना समझाओ,
    पर यह भाव विकल कर देगा।


    2.
    सर्द हवा का तरुणिम झोका,
    बढ़ता कंपन  जाये न  रोका।
    साँसो से  गरमी  का मिलना,
    बातों में नरमी  का  खिलना।
    उस  पर यह स्पर्श  नवाकुल
    मन की प्यास प्रवल कर देगा।
    तुम चाहे जितना समझाओ,
    पर यह भाव विकल कर देगा।
    3.
    पारस   से  लोहा  छू  जाना  ,
    सोना तप कुन्दन  बन जाना।
    सम्वादों का मौलिक परिणय,
    एहसासों का लौकिक निर्णय।
    सरिता का सागर से मिलना,
    तन को ताज महल कर देगा।
    तुम चाहे जितना समझाओ,
    पर यह भाव विकल कर देगा।
    पल भर का सम्पूर्ण समागम,
    जीवन उथल पुथल कर देगा।


     अपर्णा सिंह सरगम