हिंदी कविता

जलती धरती/डॉ0 रामबली मिश्र

दिवस पर्यावरण मना रहे हैं/मंजूषा दुग्गल

दिवस पर्यावरण मना रहे हैं/मंजूषा दुग्गल जलाकर पेड़-पौधे वीरान धरती को बना रहे हैंइतनी सुंदर सृष्टि का भयावह मंजर बना रहे हैंकाटकर जंगल पशु-पक्षियों को बेघर बना रहे हैंकर बेइंतहा अत्याचार हम दिवस पर्यावरण मना रहे हैं । वैज्ञानिक उन्नति…

JALATI DHARATI

धरती पर कविता/ डॉ विजय कुमार कन्नौजे

धरती पर कविता/ डॉ विजय कुमार कन्नौजे जलती धरती तपन ज्वलनक्रोधाग्नि सा ज्वाला।नशा पान में चुर हो बनते पाखंडी है मतवाला।। काट वृक्ष धरा किन्ह नगनधरती जलती , तु हो मगनवाह रे मानव,खो मानवताक्या सृष्टि का है यही लगन।। जरा…

19 फरवरी छत्रपति शिवाजी जयन्ती पर कविता

शिवाजी महाराज ने 16वीं शताब्दी में डक्कन राज्यों को एक स्वतंत्र मराठा राज्य बनाया था। उन्होंने पहले हिंदू साम्राज्य की स्थापना की थी। शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को हुआ था. पुष्पों की सुंदर मालाएँ o आचार्य मायाराम ‘पतंग’ पुष्पों…

छत्तीसगढ़ कविता

नोहर होगे / डॉ विजय कन्नौजे

नोहर होगे / डॉ विजय कन्नौजे नोहर होगे बटकी मा बासीबारा में राहय नुन।तिवरा के बटकर, बेलि नारके राहय सुघ्घर मुंग।। तिवरा नि बाचिस संगीगरवा के चरई मा।नेवता हावय तुमन लामोर गांव के मड़ई मा।। घातेच सुघ्घर लागथेमोर गांव के…

Happy Republic day

गणतंत्र दिवस अमर रहे / डॉ मनोरमा चंद्रा ‘ रमा ‘

गणतंत्र दिवस अमर रहे,सब के मुख में नारा है।मातृभूमि पर शीश नवा लें,हिंदुस्तान हमारा है।। धरती से अंबर है पुलकित, वीरों के योगदान से। कदम-कदम पर हुए न्यौछावर, अपने शौर्य अभिमान से।। हुआ लागू संविधान जब,स्वप्न हुआ साकार है।महापुरुषों के…

छत्तीसगढ़ कविता

छेरछेरा / राजकुमार ‘मसखरे’

छेरछेरा / राजकुमार ‘मसखरे’ छेरिक छेरा छेर मरकनिन छेरछेरामाई कोठी के धान ल हेर हेरा. आगे पुस पुन्नी जेखर रिहिस हे बड़ अगोराअन्नदान के हवै तिहार,करे हन संगी जोरा…छेरछेराय बर हम सब जाबोधर के लाबो जी भर के बोरा…..! आजा…

दिल एक मंदिर / पद्म मुख पंडा

दिल एक मंदिर मंदिरों में, अगर, भगवान रहा होताहर कोई भक्त, बहुत धनवान, रहा होता! गरीबी में, जिंदगी, यूँ नहीं गुजरती,मजे में, हर कोई इन्सान ,रहा होता! सच्चाई की, न उड़ती ,यूँ धज्जियां,झूठ से, न कोई भी, परेशान रहा होता!…

रोटी / विनोद सिल्ला

रोटी सांसरिक सत्य तोयह है किरोटी होती हैअनाज कीलेकिन भारत में रोटीनहीं होती अनाज कीयहाँ होती हैअगड़ों की रोटीपिछड़ों की रोटीअछूतों की रोटीफलां की रोटीफलां की रोटीऔर हांयहाँ परनहीं खाई जातीएक-दूसरे की रोटी। -विनोद सिल्ला Post Views: 81

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प्रलय / रमेश कुमार सोनी

प्रलय / रमेश कुमार सोनी दिख ही जाता है प्रलय ज़िंदगी मेंदुर्घटना में पूरे परिवार के उजड़ जाने से,बाढ़,सूनामी,चक्रवात से औरकिसी सदस्य के घर नहीं लौटने सेप्रलय की आँखों में ऑंखें डालकरकौन कहेगा कि नहीं डरता तुझसे। आख़िरी क्षण होगा…

पालक जागरूकता पर कविता / डॉ विजय कन्नौजे

पालक जागरूकता पर कविता / डॉ विजय कन्नौजे बुलाते हैं शिक्षक पालक कोपर आते नहीं है लोग।पालक बालक जागरूक होशिक्षक को लगाते दोष।‌अनुशासन की पाठ कहें तोकुछ शिक्षक नही निर्दोष।गेहूं के संग है कुछ घुन पीसेशिक्षक गरिमा हो दोस्त।। शिक्षा…