कविता संग्रह
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छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया

‘छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया’
ये नारा बड़ अच्छा लगथे!
ये नारा बनइया के मन भर
मोर पैलगी करे के मन करथे !!

जब छत्तीसगढ़िया मन..
गुजराती लॉज/राजस्थानी लॉज म रुकथे
हरियाणा जलेबी,बंगाली चाय के बड़ाई करथे
बड़ अच्छा लगथे .!!

जब छत्तीसगढ़िया मन.
अपन घर म कोनों काम-कारज ल धरथे
तब बीकानेर/जलाराम ले मन भर खरीदी करथे
बड़ अच्छा लगथे!!

जब छत्तीसगढ़िया मन
बाहिर वाले के कृषि फारम म काम करथे
‘साउथ’ वाले के ‘नर्सिंगहोम’ के चाकरी म मरथे
बड़ अच्छा लगथे !!

जब छत्तीसगढ़िया मन
आने राज म आने के बड़े-बड़े बिल्डिंग बनाथे
बँधुआ मजदूर बन के,ईंटाभट्ठा म मरत कमाथे
बड़ अच्छा लगथे !!

जब छत्तीसगढ़िया मन.
ये परदेशिया नेता मन के गुलामी करथे
इंखर जय,गुनगान करत,झंडा धर निकलथे
बड़ अच्छा लगथे!!

*राजकुमार ‘मसखरे’*
भदेरा /पैलीमेटा, ( K.C.G )


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