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किसान की हालत

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किसान की हालत

हालत देख किसान की , बदतर होता आज ।
कुर्सी वाले कर रहे , हैं किसान पर राज ।।
हैं किसान पर राज , प्रहारी कुर्सी वाला ।
पिसता सदा किसान , तरसता रहा निवाला ।
कह ननकी कवि तुच्छ , पड़ी है इसकी आदत ।
जो करता संघर्ष , न होती ऐसी हालत ।।

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हालत अब विकराल है , आतंकित हर लोग ।
अर्थ ग्राफ गिरने लगा , बंद सभी सहयोग ।।
बंद सभी सहयोग , बहुत जन लूट मचाये ।
कोरोना का ढ़ोंग , लगा बैलेंस बढ़ाये ।
कह ननकी कवि तुच्छ , नागरिक सब हैं आहत ।
कोरोना से मुक्त , बनें कब सुधरे हालत ।।

हालत बिगड़ा जा रहा , दिखता नहीं उपाय ।
प्रश्न दागते हैं बहुत , उत्तर नहीं सुझाय ।।
उत्तर नहीं सुझाय ,  नन्ही सी  बिटिया रानी ।
दरिंदगी  हद पार , बदल दी पूरी कहानी ।।
कह ननकी कवि तुच्छ , प्रेम की करो इबादत ।
बेटी हो महफूज , बनाओ ऐसी हालत ।।

                    —- रामनाथ साहू ” ननकी “
                                 मुरलीडीह

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