नारी की सुन्दरता पर कविता – बाबूलाल शर्मा
नारी की सुन्दरता पर कविता नीति नियामक हाय विधायक,भाग्य कठोर लिखे हित नारी।सत्य सदा दिन रात करे श्रम,वारि भरे घट ले पनिहारी।पंथ चले पद त्राण नहीं पग,कंटक कष्ट हुई पथ हारी।‘विज्ञ’ निहार अचंभित मानस,सुंदर नारि कि सुंदर सारी।. ….ðð¹ð….केश खुले घन कृष्ण घटा सम,ले घट हाथ टिका कटि धारे।गौर शरीर लगे अति कोमल,नैन झुके पर … Read more